न्यूज 11 भारत
रांचीः पल्स अस्पताल का निर्माण जिस जमीन पर किया गया है उसकी जांच रिपोर्ट की तलाश तेज हो गई है. इस जमीन के संबंध में सूचना दी गई थी कि ये भुईहरी जमीन है. इसकी शिकायत नारायण विश्वकर्मा नाम व्यक्ति ने फरवरी माह में की थी. जिसके बाद हेमंत सोरेन ने 13 फरवरी को डीसी रांची को निर्देश दिया था कि आरोपियों पर कार्रवाई करते हुए सूचित करें. इस मामले में तत्कालीन डीसी राय महिमापत रे ने टीम गठित कर जांच भी कराई थी, मगर अब जांच रिपोर्ट ही गायब है. जानकारी के अनुसार ईडी ने छापेमारी के बाद अस्पताल से संबंधित रिपोर्ट भी मांगी है. जिसके बाद से ही समाहरणालय स्थित अपर समाहर्ता कार्यालय में जांच से संबंधित फाइल की खोजबिन शुरू हो चुकी है. जानकारी के अनुसार जांच से संबंधित फाइल के आने या जाने से संबंधित रजिस्टर में कोई सूचना दर्ज नहीं है. जिसके कारण यह पता नहीं चल रहा है कि रिपोर्ट मुख्यमंत्री सचिवालय या भू-राजस्व विभाग को भेजी गई थी या अपर समाहर्ता के कार्यालय में ही है.
म्यूटेशन अपील को सीओ ने कर दिया था रिजेक्ट
भुईंहरी नेचर की जमीन पर ही पल्स हॉस्पिटल का निर्माण हुआ है इस बात की पुष्टि एसी व सीओ की जांच टीम की ओर से की गई थी. दरअसल जिस जमीन पर अस्पताल का निर्माण हुआ है कि उसके म्युटेशन के लिए अपील की गई थी. मगर तत्कालीन बड़गाईं सीओ विनोद प्रजापति ने उसे रिजेक्ट कर दिया था. रिजेक्ट करने के कारण में उन्होंने स्पष्ट किया था कि राजस्व कर्मचारी और अंचल निरीक्षक की ओर से प्रतिवेदित किया गया है कि म्युटेशन के लिए आवेदित भूमि सर्व खतियान के अनुसार ऑनलाइन बकास्ट भुईंहरी दर्ज है. जो सरकार के निहित नहीं है. अत: प्रतिवेदन के आधार पर नामांतरण अस्वीकृत किया जाता है. मालूम हो कि 22 सितंबर 2017 को ही म्युटेशन के लिए आवेदन दिया गया था. जानकारी के अनुसार अभी तक इस जमीन का म्युटेशन नहीं हुआ. इसके बावजूद नगर निगम से नक्शा पास कैसे हो गया? उक्त जमीन पर HDFC बैंक ने 23 करोड़ का लोन कैसे पास कर दिया? ऐसे कई सवाल हैं जिससे पर्दा उठने पर रांची नगर निगम और बैंक पदाधिकारी भी जांच की जद में आ सकते हैं.