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झारखंड में हर साल 5000 करोड़ की अवैध माइनिंग, 21 साल में 45 पहाड़ हो गए गायब

पत्थर माफिया भ्रष्ट अफसर और नेताओं की मिलीभगत से प्रदेश में चला रहे गोरखधंधा
झारखंड में हर साल 5000 करोड़ की अवैध माइनिंग, 21 साल में 45 पहाड़ हो गए गायब
न्यूज 11 भारत

रांची : झारखंड में अवैध माइनिंग की वजह से 21 साल में 45 पहाड़ गायब हो गए. इन पहाड़ों को पत्थर माफियाओं ने भ्रष्ट अफसरों और नेताओं की मिलीभगत बेच दिया. प्रदेशभर में अवैध माइनिंग की वजह से 90 से ज्यादा पहाड़ों का अस्तित्व खतरे में है. नियम-कानून की धज्जियां उड़ाते हुए पहाड़ों की खुदाई हो रही है. जहां-तहां क्रशर मशीन लगी हैं. पहाड़ तोड़ने में माफिया जिन मजदूरों को लगाते हैं, सिलकोसिस जैसी बीमारियों से उनकी मौतें हो रही हैं. जिन पहाड़ों को बनने में करोड़ों वर्ष लगते हैं, उन पहाड़ों को 21 साल में काट कर खत्म कर दिया. जिन गायब पहाड़ों की चर्चा हम कर रहे है, वे सिर्फ पांच जिलों में स्थित है. अगर प्रदेशभर में गायब पहाड़ों की बात करेंगे, तो गायब पहाड़ों का आकड़ा बढकर 100 तक पहुंच जाएगा. पत्थर माफिया लगातार अवैध खनन कर रहे हैं. बड़े पैमाने पर अवैध क्रशर और पत्थर खदान चल रहे हैं. कई इलाकों में सरकार ने पहाड़ों को लीज पर दे दिया है. इस धंधे में सभी तबके के लोग शामिल हैं. बड़े नेताओं और कई नौकरशाहों के यहां माइंस और क्रशर हैं. यही वजह है कि कभी किसी राजनीतिक दल ने इसे मुद्दा नहीं बनाया.

 

रांची से होती है अवैध माइनिंग की मॉनिटरिंग

झारखंड में अवैध माइनिंग से पत्थर माफिया, भ्रष्ट अफसर और नेता करोड़ों की अवैध कमाई करते हैं. प्रदेशभर में हर साल 5000 करोड़ से ज्यादा की अवैध माइनिंग होती है. ईडी की कार्रवाई के बाद यह साफ हो गया है कि झारखंड में योजनावद्ध तरीके से अवैध माइिनंग को अंजाम दिया जाता है. अवैध माइनिंग के लिए आला अफसरों के निर्देश पर एक पूरा सिंडिकेट काम करता है. जिला खनन पदाधिकारियों ने ईडी केा जो जानकारी दी है, वह चौकाने वाले है. ईडी की पूछताछ में डीएमओ ने बताया है कि हर सप्ताह अवैध माइनिंग का पैसा रांची पहुंचता था. यानी अवैध माइनिंग की मॉनिटरिंग रांची में बैठे लोग करते आ रहे है. ऐसे लोगों ने प्रकृति के अनमोल देन पहाड़ों को भी नहीं बख्शा.  आदिवासी संस्कृति में तो पहाड़ों, वन और नदियों का खास महत्व है. यह मनुष्य के जीवन से सीधा जुड़ा है. इसके नष्ट होने से मनुष्य का जीवन खतरे में है. इसके बावजूद झारखंड के राजनीतिज्ञों के लिए यह बहस का मुद्दा बन नहीं पाया है.

 

जहां वषों से पहाड़ थे, अब वहां देखने को मिलता है समतल

झारखंड के पांच जिलों से 45 पहाड़ गायब हो गये हैं. इनका वजूद पूरी तरह खत्म हो गया है. जहां कभी पहाड़ियां हुआ करती थीं, आज समतल है.  इनमें हजारीबाग के 14, साहेबगंज के तीन, लोहरदगा के दो, पलामू के चार और कोडरमा के एक पहाड़ शामिल हैं. यही नहीं, छह जिलों के 55 पहाड़ों का अस्तित्व खतरे में है. इनकी खुदाई में चल रही है. धनबाद, गिरिडीह और पूर्वी व पश्चिमी सिंहभूम में भी कई पहाड़ों में कटाई का काम चल रहा है. कुछ को तो सरकार ने लाइसेंस दिया है, बाकी अवैध हैं. पत्थर माफियाओं ने सबसे अधिक लातेहार, साहेबगंज, पाकुड, सरायकेला, हजारीबाग में पहाड़ों को नुकसान पहुंचाया है. कोडरमा में पांच, गुमला में चार और लोहरदगा में तीन पहाड़ पूरी तरह खत्म हो गये हैं. संताल परगना में पाकुड़ और साहेबगंज में भी कुछ पहाड़ गायब हो गये हैं. 

 

10 करोड़ वर्ष पुरानी राजमहल पर्वल शृंखला का अस्तित्व खतरे में

झारखंड के चार जिले-दुमका, गोड्‌डा, पाकुड़ और साहिबगंज तक में फैली 10 करोड़ वर्ष पुरानी राजमहल पर्वत शृंखला की 12 पहाड़ियां गायब हो गई हैं. ये पहाड़ियां हिमालय से 5 करोड़ वर्ष पहले बनीं, पर इनका वजूद मिटाने में चंद साल ही लगे. गदवा-नासा, अमजोला, पंगड़ो, गुरमी, बोरना, धोकुटी, बेकचुरी, तेलियागड़ी, बांसकोला, गड़ी, सुंदरपहाड़ी, मोराकुट्टी पहाड़ियों का अस्तित्व पत्थर माफिया ने अवैध खुदाई कर खत्म कर दिया है. राजमहल पर्वत शृंखला पर खनन के लिए 185 लोगों को लीज मिला है. इनके आलवा पत्थर माफिया भी अवैध खनन कर रहे हैं. सीमांकन की जांच नहीं करने से आवंटित क्षेत्र से कई गुना अधिक खनन हो रहा है. यही कारण है कि गदवा पहाड़ी सिर्फ शिवलिंग के रूप में बची है. खनन माफिया ने इस पहाड़ को पहले खोदकर जमीन से मिला दिया और अब जमीन खोदकर पाताल से मिला रहे हैं. शृंखला की कई अन्य पहाड़ियों की तलहटी में भी लगातार खनन जारी है.

 


 

संताल परगना बन गया है अवैध माइनिंग का हब 

संताल परगना में पाकुड़ और साहेबगंज जिला पत्थर खनन का हब बन गया है. कुछ पहाड़ों को तो सरकार ने ही लीज पर दिया था. पर तीन पहाड़ों को अवैध खनन ने खत्म कर दिया. सूत्रों के अनुसार, सिर्फ साहेबगंज से ही प्रतिदिन दो हजार ट्रक पत्थरों की ढुलाई होती है. पाकुड़ जिला में 300 एकड़ में फैले पहाड़ पर अवैध पत्थर खनन कार्य चलने की सूचना प्रशासन को है.

 

झारखंड में जो पहाड़ गायब हो गए और जिनके अस्तित्व पर है खतरा


  • लोहरदगा  : ओएना टोंगरी, उमरी और अरकोसा

  • कोडरमा  : डोमचांच के मसनोडीह, ढाब, पडरिया, उदालो व सिरसिरवा

  • लातेहार : नरैनी, कूरा, पॉलिटेक्निक, सोतम, ललगड़ी, खालसा, बारियातू, डेमू, बानपुर, दुगिला, तेहड़ा (सभी लातेहार अंचल में), सधवाडीह, लंका, कोपे, जेरुआ (सभी मनिका में), राजदंडा, जोभीपाट, कुकुदपाट, चोरमुड़ा (महुआडांड़), द्वारसेनी, बारेसांढ़, रिझू टोंगरी, धांगर टोंगरी (सभी गारू)

  • गुमला : जैरागी (डुमरी), सेमरा (पालकोट), निनई (बसिया), बरिसा

  • साहेबगंज  : सकरी गली के गड़वा पहाड़, पंगड़ो पहाड़, अमरजोला पहाड़ (सभी राजमहल में)

  • हजारीबाग  : करमाली, सिझुआ, नारायणपुर, बेड़म, कुबरी (सभी टाटीझरिया), महावर व असिया (इचाक), शाहपुर,

  • आराभुसाई (कटकमसांडी), जमनीजारा व इटवा (विष्णुगढ़), देवरिया (सदर/दारू), सोनपुरा व लाटी (पदमा)

  • लोहरदगा  : बगड़ू (किस्को) व कोरांबे (सेन्हा)

  • कोडरमा : चंचाल पहाड़ (डोमचांच)

  • पलामू  : विशुनपुरा पहाड़ (नौडीहा), मुनकेरी पहाड़ (छत्तरपुर), सेमरा (चैनपुर), खोहरी (चैनपुर)

  • साहेबगंज : नासा पहाड़ , धोकुटी और गुरमी पहाड़ी (सभी राजमहल में)

  • हजारीबाग  : साड़म व डुमरौन (इचाक),बानादाग (कटकमसांडी), मुरुमातू (टाटीझरिया), बभनवै, शीलाडीह, रोला (सदर/दारू) और दोनयकला व चमेली

  • चतरा : चनकी़, चोपारी, गटमाही, कुरखेता, चलला के पाली, पिपरा, दंतकोमा (सभी हंटरगंज), होंहे, कुडलौंगा (टंडवा), आरा पहाड़ी, कुलवा (चतरा), सपाही पहाड़ी (सिमरिया), अहिरपुरवा (प्रतापपुर)

  • लातेहार  : तपा (लातेहार), सोहरपाट (महुआडांड़), चरवाडीह व बकोरिया (मनिका), बड़की पहाड़ी

  • पलामू : बुढ़ीबीर पहाड़, चोटहासा पहाड़, करसो पहाड़ी (सभी चैनपुर), मुकना, गानुथान, गोरहो, सलैया (छत्तरपुर नौडीहा इलाके में), महुअरी, रसीटांड, सरसोत (हरिहरगंज)

  • गुमला : करौंदी व करमडीपा (गुमला), सेमरा (पालकोट), माझांटोल (रायडीह)

  • सिमडेगा: कसडेगा पहाड़, लाघाघ, जलडेग स्थित सिहलंगा, मुर्गीकोना, करमापानी, केरसाई स्थित रंगाटोली आलू पहाड़, किनकेल पहाड़

  • साहेबगंज : पतना प्रखंड का बोरना पहाड़ और महादेवगंज, बिहारी, कोदरजन्ना, सकरीगली, महाराजपुर स्थित पहाड़

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