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रांची: छठी जेपीएससी के संशोधित रिजल्ट के कारण असफल घोषित किए गए 62 अधिकारियों के समायोजन पर झारखंड सरकार सहमत नहीं है. राज्य सरकार जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दर्ज कर इस पर स्पष्ट मंतव्य दे देगी. सुप्रीम कोर्ट में 11 मई को सुनवाई तय है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूछे गए सवाल पर राज्य के कार्मिक एवं प्रशासनिक और राजभाषा सुधार विभाग ने अपना फैसला ले लिया है. सरकार ने इस मामले पर सभी संबंधित विभागों को पत्र लिख कर वैकेंसी, रोस्टर की स्थिति व अन्य जानकारियां मांगी थी, ताकि कोर्ट के सवालों का जवाब दे सके.
छठी जेपीएससी द्वारा विभिन्न सेवा के कुल 326 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया था. जेपीएससी पर आरोप लगा था कि क्वालिफाइंग पेपर हिंदी और अंग्रेजी का मार्क्स जोड़ कर कई अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया. इसके बाद मामला झारखंड हाईकोर्ट तक पहुंचा. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने संशोधित मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया. फिर एकल पीठ के फैसले को डबल बेंच में चुनौती दी गयी.
डबल बेंच ने 23 फरवरी को जेपीएससी को संशोधित रिजल्ट जारी करने को कहा. इसमें पूर्व में चयनित 60 अधिकारी मेरिट लिस्ट से बाहर हो गए. छठी जेपीएससी के संशोधित मेरिट लिस्ट जारी करने के खिलाफ दाखिल एसएलपी पर 31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी. तब जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा था कि क्या संशोधित परिमाण के बाद नए चयनित के साथ-साथ बाहर हुए 62 अभ्यर्थियों नौकरी में बहाल रखा जा सकता है. इसको लेकर सरकार की क्या रणनीति है.