राज्य सरकार के कर्मचारियों की पदोन्नति पर रोक लगाने का आदेश को गैरकानूनी बताते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है. जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने सरकार को चार सप्ताह में वैसे लोगों को पदोन्नति देकर हाईकोर्ट को सूचित करने का भी निर्देश दिया है जिनकी पदोन्नति की अनुशंसा डीपीसी में हो गई है. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि प्रोन्नति पर रोक के आदेश को सरकारी आदेश नहीं माना जा सकता है. न तो यह राज्यपाल का आदेश है और न ही प्रोन्नति पर रोक का कोई कारण बताया गया. यह आदेश एक विभाग के प्रधान सचिव की ओर से जारी किया गया है. इस आदेश पर प्रोन्नति का मामला लंबित नहीं रखा जा सकता है. यह आदेश उन रिटायर कर्मचारियों पर भी लागू होगा जिनकी पदोन्नति की सिफारिश डीपीसी ने कर दी है, लेकिन पदोन्नति की अधिसूचना जारी नहीं होने के कारण वह बिना पदोन्नति के ही रिटायर हो गए हैं. इस संबंध में इंस्पेक्टर अशोक कुमार सिंह, राम सागर तिवारी, रश्मि एक्का, राजकिशोर प्रसाद एवं अन्य ने याचिका दायर की थी. इन याचिकाओं में इंस्पेक्टर से डीएसपी और डिप्टी कलेक्टर से एसडीओ के पद पर प्रोन्नति देने का आग्रह किया गया था. 20 दिसंबर को इस पर सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
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