न्यूज11 भारत
रांची: झारखंड में साल 2022 से घोटालों और खुलासों का जो कारवां चल पड़ा है उसमें एक एक कर मुसाफिर जुड़ते जा रहें. पूजा सिंघल से शुरु हुए इस मामले ने जहां झारखंड सरकार तक को ईडी के दफ्तर तक खींच लाया. वहीं झारखंड में चल रहें अरबों रुपए के अवैध खनन को उजागर भी कर दिया.
वो तमाम सफेदपोश चेहरे ईडी के सामने बेनकाब हो गए जिनके रुतबे और रसूक की झारखंड में वाहवाही हुआ करती थी. बता दें बहुचर्चित खूंटी मनरेगा घोटाले को लेकर ईडी ने जांच के दौरान छह मई को पूजा सिंघल व संबंधित लोगों के रांची, मुजफ्फरपुर, कोलकाता, चंडीगढ़, फरीदाबाद और गुड़गांव के कुल 24 ठिकानों पर छापा मारा था.
इस घोटाले की छानबीन के बाद 11 मई 2022 को पूजा सिंघल को गिरफ्तार किया गया. इसके बाद पहले चरण की जांच पूरी कर इडी ने तत्कालीन आईएएस पूजा सिंघल सहित सात लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया. अपनी कर्रवाई को आगे बढ़ाते हुए इडी ने पीएमएलए की धारा 66(2) के तहत जांच में मिले तथ्यों को राज्य सरकार के साथ साझा किया.
बता दें इडी की ओर से जो आरोप पत्र राज्य सरकार को मनरेगा घोटाले मामले में दायर किया गया जिसमें मनी लाँड्रिंग के आरोप में अस्थायी रूप से जब्त की गयी संपत्ति से संबंधित आदेश की प्रति सरकार को भेजी गयी. वहीं ईडी द्वारा जिला खनन पदाधिकारियों द्वारा दर्ज कराये गये बयानों की प्रति भी राज्य सरकार को भेजी गयी. इडी ने सभी सूचनाओं को साझा करते हुए राज्य सरकार से इस मामले में मदनलाल चौधरी बनाम भारत सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये फैसले के आलोक में अरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया.
बताते चलें कि मदन लाल चौधरी बनाम केंद्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश के आलोक में राज्य सरकार को इडी द्वारा साझा की गयी सूचनाओं के आधार पर दोषी लोगों के विरुद्ध कार्रवाई करने का प्रावधान है. वहीं इस बात के मद्देनजर इडी की रिपोर्ट मिलने के बाद पूजा सिंघल के खिलाफ राज्य सरकार ने पीसी एक्ट की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के मामले में विधि विभाग से राय मांगी गयी.
बताते चलें कि विधि सचिव ने इडी की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद निलंबित आईएएस पूजा सिंघल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने पर अपनी सहमति दी. इधर विधि विभाग की सहमति के बाद सरकार ने अब इस मामले में महाधिवक्ता की राय मांगी है. माना जा रहा है कि महाधिवक्ता की राय के बाद सरकार के स्तर पर प्राथमिकी दर्ज करने या नहीं करने के बिंदु पर अंतिम निर्णय किया जायेगा.