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रांची: आज के इस आधुनिक युग में शायद ही कोई ऐसा युवा होगा जो सोशल मीडिया प्लेटफार्म व्हाट्सएप को नहीं जानता होगा. आम जीवन का हिस्सा बनते जा रहा यह सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल अब ना केवल एक दुसरे से मेसेज पर बात करने के लिए होता है बल्कि कई नए फीचर आ जाने की वजह से इस एप के माध्यम से आप और हम वीडियो कॉल, ऑडियो कॉल को करते ही है पर अब किसी समूह को सुचना देने की बात हो या किसी सम्बन्धी के शादी का निमंत्रण अब व्हाट्सएप इन हर कार्यों के लिए इस्तेमाल होने लगा है. व्हाट्सएप अब इतना ज्यादा अपग्रेड हो चूका है कि इसके माध्यम से आम आदमी अब डिजिटल पेमेंट भी कर पा रहे है. लोगों के जीवन में इस तरह से घर कर जाने वाली इस एप के पूर्व बिजनेस हेड ने ट्वीट कर ऐसी बात कही जिससे हम और आप यह सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि किसी भी फैसले को लेने से पहले हमें अच्छे तरह से सोचना चाहिए या नहीं.
आपने पढ़ा तो होगा ही कि 'अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत'. इस कहावत का उदाहरण बीते कल यानी 5 मई को देखने को मिला जब व्हाट्सएप के पूर्व बिजनेसहेड ने ट्वीट कर यह बात स्वीकार की कि जब वर्ष 2014 में उन्होंने व्हाट्सएप को बेचने में सहायता की थी तब के फैसले पर अब उन्हें पछतावा हो रहा है.
पिछले कई दिनों से माइक्रो ब्लॉगिंग साइट यानी Twitter का बिकना लगातार चर्चा में है. इन चर्चाओं के बीच इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप के पूर्व चीफ और बिजनेस ऑफिसर Neeraj Arora ने वॉट्सऐप के बिकने पर दुख जताया है. साल 2014 में Facebook (अब Meta ) ने 22 अरब डॉलर में वॉट्सऐप को खरीदा था. नीरज अरोरा ने उस वक्त व्हाट्सऐप को खरीदने में Mark Zuckerberg की मदद की थी. उन्होंने कहा है कि अब उन्हें इस बात का अफसोस है. Facebook ने मल्टी डॉलर डील में व्हाट्सऐप को जब खरीदा था, उस वक्त ऐप को लॉन्च हुए महज 5 साल हुए थे. जबकि अरोरा तीन साल से कंपनी से जुड़े हुए थे.
क्या है पूर्व अधिकारी की परेशानी
ट्विटर पर ट्वीट कर नीरज ने उस वक्त की स्थिति, डील और फेसबुक के साथ हुए वादों की जानकारी दी है. उन्होंने बताया है कि जिस वक्त वॉट्सऐप के को-फाउंडर Brain Acton को ऐप बेचना पड़ा था, उस वक्त कंपनी के क्या हालात थे.
अरोरा ने ट्वीट में लिखा, 'साल 2014 में मैं वॉट्सऐप का चीफ बिजनेस ऑफिसर था और मैंने 22 अरब डॉलर में फेसबुक के साथ हुई डील में नेगोशिएशन में मदद की थी. आज मुझे उसके लिए पछतावा होता है.'
अरोरा के मुताबिक, फेसबुक ने साल 2012/2013 में वॉट्सऐप को खरीदने की कोशिश की थी, लेकिन ऐप ने उनके ऑफर को मना कर दिया था. हालांकि साल 2014 में फेसबुक ने फिर से वॉट्सऐप को खरीदने का प्रस्ताव भेजा.
facebook ने क्या वादे किये थे?
अरोरा बताते हैं कि साल 2014 में हुई डील के वक्त फेसबुक का ऑफर पार्टनरशिप की तरह लगा था. Mark Zuckerberg की कंपनी यानी फेसबुक ने WhatsApp को खरीदने के लिए ये वादे किये थे.
प्रोडक्ट पर स्वतंत्र फैसले लेना
कोई ऐड नहीं
एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का फुल सपोर्ट
JJan Koum (वॉट्सऐप को-फाउंडर और फॉर्मर सीईओ) के लिए बोर्ड सीट
माउंटेन व्यू ऑफिस
अरोरा ने कहा कि फेसबुक ने दावा किया था कि वह वॉट्सऐप के बिना गेम, ऐड्स और गिमिक के सर्विस प्रोवाइड करने के मिशन को सपोर्ट करेगा. उन्होंने बताया कि फेसबुक ने यूजर्स डेटा की माइनिंग ना करने, कोई ऐड नहीं जोड़ने और क्रॉस प्लेटफॉर्म ट्रैकिंग नहीं करने की बात कही थी. पर ऐसा कुछ नही हुआ. What’ss App के पूर्व चीफ बिजनेस ऑफिसर ने बताया, 'आज वॉट्सऐप फेसबुक का दूसरा सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है, लेकिन यह उस प्रोडक्ट की छाया है जो हम दुनिया को देना चाहते थें. फेसबुक पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, 'शुरुआत में कोई नहीं जानता था कि फेसबुक Frankenstein Monster बन जाएगा, जो यूजर्स का डेटा निगलेगा.