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रांची: 2000 बैच की आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल का विवादों के साथ नाता शुरू से ही रहा है. जब भी जिनकी सरकार रही, इनका रूतबा लगातार सभी सरकारों में सबसे अधिक रहा. वर्तमान में मुख्यमंत्री की प्रधान सचिव, खान एवं भूतत्व सचिव और झारखंड राज्य खनिज विकास निगम की प्रबंध निदेशक हैं. ब्यूरोक्रेसी में इन्हें फिट फॉर एवरीथिंग के रूप में जाना जाता है.
पूजा सिंघल खूंटी की डीसी थी, तब वहां ग्रामीण विकास विभाग के कार्यक्रमों में करोड़ों का घोटाला हुआ. उस समय ग्रामीण विकास विभाग के कनीय अभियंता रामविनोद सिन्हा के साथ इनका काफी नाम जुड़ा था. खूंटी में मनरेगा घोटाले के तहत कुल 16 प्राथमिकी दर्ज की गई. विभागीय जांच कमेटी की रिपोर्ट में क्लीन चिट दे दिया गया. तत्कालीन सीएम अर्जुन मुंडा का जांच से संबंधित आदेश निगरानी ब्यूरो (अब एंटी करप्शन ब्यूरो) तक पहुंचा ही नहीं. अर्जुन मुंडा ने सभी मामलों की जांच के आदेश दिये थे और निगरानी तक पहुंचा सिर्फ दो मामलों की जांच करने का आदेश. इस मामले की जांच ईडी कर रही है.
चतरा में डीसी रहते पूजा सिंघल ने मनरेगा योजना से दो एनजीओ को 6 करोड़ रूपये दिये. वेलफेयर प्वाइंट नाम के NGO को चार करोड़ और दो करोड़ रुपये प्रेरणा निकेतन नाम के एनजीओ को. दोनों को मुसली उत्पादन के नाम पर यह राशि दी गयी. मनरेगा में मुसली उत्पादन के लिए पैसे दिये गये. पूजा सिंघल अगस्त 2007 से जून 2008 तक चतरा डीसी थी. इस मामले को भाकपा माले विधायक विनोद सिंह ने मामले को उठाया था. सरकार ने जांच कराने की बात कही थी. इस मामले में भी पूजा सिंघल को सरकार के अफसरों ने क्लीन चीट दे दी. हालांकि ईडी ने हाइकोर्ट में दिये हलफनामे में कहा है कि वह इस मामले को देख रहे हैं. इतना ही नहीं लातेहार में कोयला ब्लाक के भूमि अधिग्रहण मामले में भी इनका नाम आया था. इस मामले को भी दबा दिया गया. एक बड़ी निजी कंपनी को लातेहार में कोल ब्लॉक आवंटित किया गया था. राज्य में पूजा सिंघल कृषि और पशुपालन विभाग, उद्योग विभाग, पर्यटन विभाग में भी रही हैं. इनपर झारखंड में आयोजित मोमेंटम झारखंड में भी कई दिनों तक सुर्खियों में रहा था. साथ ही साथ मोमेंटम झारखंड के दौरान एक दिन में सबसे अधिक रोजगार दिये जाने का लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में नाम दाखिल होने. समेत देश भर के कई महानगरों दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू और अन्य जगहों पर निवेशक सम्मेलन आयोजित करने में भी इनकी भूमिका रही थी.