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झारखंड


राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अधिकारियों पर बढ़ेगी ईडी की दबिश

वन विभाग ने ईडी को सौंपी साहेबगंज और पाकुड़ में दिये गये 42 से अधिक स्टोन माइंस को ऑपरेट करने की फाइल
राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अधिकारियों पर बढ़ेगी ईडी की दबिश

न्यूज11 भारत / दीपक


रांची: साहेबगंज और पाकुड़ जिले में पत्थरों के अवैध खनन और उसके भंडारन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने वन एवं पर्यावरण विभाग की तरफ से रिपोर्ट सौंप दी गयी है. ईडी की तरफ से राज्य के वन एवं पर्यावरण विभाग को इस मामले में नोटिस भेज कर वस्तु स्थिति से अवगत कराने को कहा गया था. ईडी ने यह रिपोर्ट मांगी थी कि झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की तरफ से साहेबगंज में कितने स्टोन माइंस के लिए कंसेंट टू आपरेट (सीटीओ) और अन्य लाइसेंस देने की अनुमति दी गयी थी. इससे पहले झारखंड स्टेट इनवायरनमेंटल इंपेक्ट एसेसमेंट ऑथोरिटी ने साहेबगंज के 21 स्टोन और पाकुड़ में भी 21 से अधिक स्टोन माइंस को चालू करने की अनुशंसा राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद को अपनी 92वें बैठक में की थी. इसके बाद राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने सिर्फ साहेबगंज के 21 स्टोन माइंस और क्रशर यूनिटों को चालू करने की इजाजत दी. इतना ही नहीं पहले प्रूदूषण नियंत्रण पर्षद की ओर से 56 माइंस के संचालन की अनुमति का प्रस्ताव तैयार किया गया था. बाद में उसमें से 26 को रिजेक्ट कर दिया गया. यह सब सदस्य सचिव ‌वाइ.के. दास और क्षेत्रीय अधिकारी केके पाठक की रिपोर्ट के आधार पर की गयी. ईडी को भेजी गयी रिपोर्ट में स्टेट इनवायरनमेंटल इंपैक्ट एसेसमेंट ऑथोरिटी की भी रिपोर्ट संलग्न की गयी है, जिसमें पाकुड़ के भी एक दर्जन, दुमका के आधा दर्जन से अधिक स्टोन माइंस को चलाने की अनुमति दिये जाने पर सहमति दी गयी है. स्टेट इनवायरनमेंटल इंपैक्ट एसेसमेंट अथोरिटी के अध्यक्ष आइएफएस अशोक कुमार सिंह और सचिव अशोक कुमार दुबे समेत अन्य सदस्यों के हस्ताक्षर भी बैठक की कार्यवाही में दर्ज हैं.


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बताते चलें, कि साहेबगंज के जिला खनन पदाधिकारी विभूति कुमार से जब न्यूज11 भारत ने बात की थी, तो उन्होंने कहा था कि 400 खदानों में से मात्र 123 पर खनन हो रहा है. जबकि नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल ने अवैध खनन होने से पारिस्थिकीय असंतुलन होने की बातें कही थीं. यह कहा गया था कि साहेबगंज से दुमका तक की सड़क में पर्यावरण प्रदूषण काफी अधिक हो रहा है. स्टोन डस्ट का मिश्रण वातावरण में घूल रहा है, जिससे मानव के शरीर पर प्रतिकुल असर पड़ रहा है. एनजीटी ने साहेबगंज से लेकर देवघर तक की सड़क में पर्यावरण मानकों के अनुरूप पानी का छिड़काव करने और अवैध उत्खनन मामले पर राज्य सरकार को कार्रवाई करने का निर्देश दिया था.




कंपनियों को मिला साहेबगंज में कंसेंट टू आपरेट का लाइसेंस

जानकारी के अनुसार, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की ओर से साहेबगंज में दिये गये कंसेंट टू ऑपरेट और कंसेंट टू इस्टैबलिशमेंट में 21 से अधिक कंपनियों के नाम हैं. इनमें सिलरिया स्टोन डिपोजिट, मुंडली स्टोन माइंस, गिलामारी स्टोन माइंस, चगजो स्टोन डिपोजिट, अमझोरा स्टोन डिपोजिट, गीलामारी स्टोन डिपोजिट (आलोक रंजन), स्टोन माइंस (आलोक स्टोन), स्टोन माइंस एंड क्रशर (आलोक रंजन), चुवड़ा स्टोन डिपोजिट, गडवा स्टोन डिपोजिट, रोहना स्टोन डिपोजिट समेत अन्य शामिल हैं. 


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उधर पाकुड़ में खापराजोला स्टोन डिपोजिट, विशुनपुर स्टान माइंस, अमलागाछी स्टोन माइंस, बासमाता स्टोन माइंस, खगजाचुआ स्टोन डिपोजिट, सुंदरपहाड़ी स्टोन डिपोजिट, सिउलीडागा स्टोन माइंस, विजयपुर स्टोन माइंस, श्रीरामपुर स्टोन डिपोजिट, आसनजोला स्टोन डिपोजिट, पादेरकोलो और तुषारडीह स्टोन माइंस, राजबंध स्टोन डिपोजिट, सुंदरपहाड़ी स्टोन डिपोजिट (मां तारा स्टोन वर्क्स), हाथीगढ़ स्टोन माइंस, हाथीगढ़ स्टोन माइंस (इमरान अली), माहुलपहाड़ी स्टोन डिपोजिट, ख्लापरजोला स्टोन माइंस, भुस्का स्टोन डिपोजिट के तीन खदान, विशनपुर स्टोन डिपोजिट के दो खदान शामिल हैं.


 

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