न्यूज11 भारत
रांची: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झारखंड सरकार से आइएएस पूजा सिंघल को मनरेगा घोटाले में दोषमुक्त करने और कठौतिया कोल माइंस के लिए आवंटित जमीन मामले की संचिकाएं मांगी हैं. ईडी के पास खूंटी, चतरा और पलामू जिले से मनरेगा योजनाओं में की गयी गड़बड़ी को लेकर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को जांच की अनुमति नहीं दिये जाने पर भी जानकारी स्पष्ट करने को कहा है. सूत्रों के अनुसार ईडी की जांच टीम को कुछ और दस्तावेज हाथ लगे हैं, उस पर भी रिपोर्ट मांगी गयी है.
गौरतलब है कि खूंटी और चतरा में डीसी रहते हुए महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना में 18 करोड़ से अधिक की गड़बड़ी किये जाने को लेकर ईडी की दबीश में पूजा सिंघल हैं. उनके द्वारा खूंटी में निलंबित जिला परिषद के कनीय अभियंता राम विनोद सिन्हा को अग्रिम की राशि का भुगतान किया गया. राम विनोद सिन्हा ने अपने परिवार के नाम पर करोड़ों रुपये इधर-उधर कर दिये. खूंटी और चतरा में डीसी रहने के दौरान पूजा सिंघल के कार्यकाल में मनरेगा घोटाला हुआ. इसमें प्रथम दृष्टया दोषी मानकर सरकार ने विभागीय कार्यवाही शुरू की. विभागीय रिपोर्ट में कार्मिक सचिव निधि खरे ने पूरे मामले में ग्रामीण विकास विभाग की राय लेने का निर्देश दिया. तत्कालीन ग्रामीण विकास विभाग के सचिव एनएन सिन्हा ने आइएएस एपी सिंह की रिपोर्ट को झुठलाते हुए पूजा सिंघल को दोषमुक्त करने की बातों पर असहमति जतायी थी. 27 फरवरी 2017 को पूजा सिंघल को आरोपमुक्त करने की भी निंदा की थी. मनरेगा में पूजा सिंघल को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए कार्रवाई की थी.
ईडी ने कठौतिया कोल माइंस से संबंधित कागजात भी मांगे
ईडी ने कठौतिया कोल माइंस से जुड़े 83 एकड़ जमीन आवंटन में भ्रष्टाचार की शिकायत पर एसीबी से 82.76 एकड़ जंगल, झाड़ी की जमीन और सीएनटी एक्ट का उल्लंघन कर एक निजी कंपनी को दिये जाने के मामले में जांच की अनुमति मांगी थी. इसमें तत्कालीन पलामू कमिश्नर एनके मिश्रा ने 29 जनवरी 2015 को भेजी गयी अपनी रिपोर्ट में भी पलामू डीसी पूजा सिंघल को दोषी बताया था. लेकिन सरकार ने एसीबी जांच की अनुमति नहीं दी थी.