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डिफंक्ट स्टेट इलेक्ट्रसिटी रेगुलेटरी कमीशन: HC में सरकार का तारिख पर तारिख का खेल जारी

उर्जा विभाग ने हाइकोर्ट को बताया- मेंबर का नाम तय कर लिया है, सरकार को भेजा जाएगा प्रस्ताव
डिफंक्ट स्टेट इलेक्ट्रसिटी रेगुलेटरी कमीशन: HC में सरकार का तारिख पर तारिख का खेल जारी
-चेयरमैन की नियुक्ति के लिए चीफ जस्टिस के पास है प्रस्ताव, बातचीत लगातार जारी




-जस्टिस राजेश शंकर ने उम्मीद जताया, एक सप्ताह में हो जाने चाहिए नियुक्ति प्रक्रिया, अगली सुनवाई 13 मई को




कौशल आनंद/न्यूज़11 भारत 




रांची: एक साल से अधिक डिफंक्ट पड़े झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग में चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति को लेकर सरकार को तारिख पर तारिख लेने का खेल जारी है. हाईकोर्ट की मॉनेटरिंग के बावजूद सरकार आयोग में नियुक्ति को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखा रही है. इस मामले को लेकर 27 अप्रैल को न्यायाधीश राकेश शंकर के कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें उर्जा विभाग ने सप्लीमेंटरी एफीडिविट दिया. जिसमें विभाग ने कोर्ट को बताया कि आयोग में मेंबरों की नियुक्ति को लेकर सलेक्शन कमेटी की बैठक 18 अप्रैल को हुई. जिसमें मेंबर टेक्नीकल और मेंबर लॉ का नाम तय कर लिया गया है. इसे जल्द ही सरकार के पास भेजा जाएगा. इसके बाद सरकार मेंबरों की नियुक्ति करेगी. विभाग ने कोर्ट को जानकारी दिया कि आयोग के चेयरमैन की नियुक्ति को लेकर चीफ जस्टिस के पास प्रस्ताव विचाराधीन है. उनसे विभाग लगातार संपर्क बनाए हुए है. उम्मीद है कि जल्द ही चेयरमैन की नियुक्ति प्रकिया पूरी कर ली जाएगी. जस्टिस राजेश शंकर ने उम्मीद जाहिर किया है कि डिफंक्ट आयोग में चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति प्रकिया जल्द पूरी कर ली जाएगी. जस्टिस ने इस मामले में अगली सुनवाई की तिथि 13 अप्रैल को तय किया है. 

 


 

19 फरवरी 2021 से डिफंक्ट है नियामक आयोग

 

राज्य का महत्वपूर्ण संवैधानिक संस्था झारखंड विद्युत नियामक आयोग आगामी 19 फरवरी 2021 से पूरी तरह से डिफंग (निष्क्रिय) हो गया है. 19 फरवरी को आयोग में बचे अंतिम सदस्य (विधि) प्रवास कुमार सिंह आयोग छोड़ दिया. प्रवास कुमार सिंह को केंद्रीय नियामक आयोग का विधि सदस्य बनाए जाने के कारण वे चले गए. पिछले वर्ष जून में निवर्तमान चेयरमैन अरविंद प्रसाद के इस्तीफा दे दिया जबकि मेंबर तकनीक आरएन सिंह 9 जनवरी को सेवानिवृत हो चुके हैं. जनसुवाई या किसी भी नीतिगत निर्णय के लिए कम से कम एक मेंबर का होना संवैधानिक संस्था होने के कारण बहुत जरूरी है. इसके बिना कोरम पूरा नहीं हो पाएगा.

 

 

 

दो वित्तीय वर्ष में नहीं हुई है बिजली दर में कोई बढ़ोतरी

 

पिछले वर्ष वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए भी दिसंबर में जेबीवीएनएल ने नया बिजली टेरिफ बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया था. मगर पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण आयोग में दो मेंबरों ने उपभोक्ताओं के पक्ष में फैसला देते हुए घरेलू उपभोक्ताओं के बिजली टेरिफ में कोई बढ़ोतरी नहीं की। 2021-22 में आयोग डिफंक्ट होने के कारण इस वित्तीय वर्ष में भी कोई बढ़ोतरी नहीं हुई. अभी भी राज्य में 2019-20 वाला ही टेरिफ अब तक लागू है. वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए भी जेबीवीएनएल अपना नया बिजली टैरिफ प्लान दिसंबर में दायर कर चुका है. मगर इसको लेकर भी अब तक आयोग डिफंक्ट होने के कारण कोई सुनवाई और पहल नहीं हो सकी है. बिजली टेरिफ पर सुनवाई और निर्णय लेने के लिए कम से कम एक मेंबर का भी होना जरूरी है.
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