न्यूज11 भारत
रांचीः मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव आज विभिन्न जिलों में राइस मिल्स निर्माण का शिलान्यास करेंगे. यह कार्यक्रम दिन के 1 बजे से प्रोजेक्ट भवन में होगा. मालूम हो कि झारखंड में राइस मिलों की मांग बहुत अरसे से हो रही है. सरकारी राइस मिल्स नहीं होने के कारण धान का प्रोसेसिंग करने के लिए दूसरे प्रदेश पर आश्रित रहना पड़ता है. आज मुख्यमंत्री विभिन्न जिलों के 14 राइस मिल्स निर्माण योजना का शुरुआत करेंगे.
मालूम हो कि राज्य में पहले से निजी राइस मिल्स हैं, मगर सरकारी राइस मिल्स नहीं होने के कारण किसानों को बहुत दिक्कतें होती हैं. इसके कारण दूसरे राज्य से प्रोसेसिंग के लिए सरकार को करोड़ों रूपए खर्च करने पड़ते हैं. झारखंड सरकार का प्रयास है कि राज्य में अपना राइस मिल्स हो ताकि प्रोसेसिंग के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर नहीं रहना पड़े. मालूम हो कि धनबाद जिला में राइस मिलों की स्थिति बेहद खराब है. यहां संचालित 6 में से 3 राइस मिलें सरकार से बकाया राशि नहीं मिलने के कारण बंद हो गयी है.
वहीं, 2 अन्य राइस मिल भी बंदी के कगार पर है. इसके अलावा एक अभी नया खुला है जो फिलहाल ट्रायल में चल रहा है. धनबाद जिला में 6 राइस मिल अब तक खुली. इसमें से प्रिया राइस मिल गोविंदपुर, हनुमान राइस मिल गोविंदपुर तथा जगदंबा एग्रो फूड प्राइवेट लिमिटेड पंडुकी बरवाअड्डा बंद है. शिव शंभु राइस मिल तथा कल्याणी राइस मिल गोविंदपुर चल रहा है. लेकिन, इसके संचालक भी कह रहे हैं कि स्थिति नहीं बदली, तो मिल चलाना मुश्किल होगा. गोविंदपुर में ही एक नया राइस मिल खुला है कमल मिल के नाम से. यह मिल अभी ट्रायल स्टेज में है. बताया जाता है कि सरकार द्वारा पैक्सों के माध्यम से चावल खरीदने की नीति तथा मिलों को समय पर सब्सिडी तथा मिलिंग चार्ज नहीं देने से राइस मिलों की स्थिति खराब हो गयी. यहां पर वित्तीय वर्ष 2011-12 से लेकर वित्तीय वर्ष 2019-20 तक में धान का मिलिंग चार्ज मिल संचालकों को नहीं मिला. बीच में सिर्फ वित्तीय वर्ष 2016-17 तथा 17-18 में मिलिंग चार्ज की एवज में कुछ राशि का भुगतान किया गया. चावल खरीदने वालों की संख्या घट रही.