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रांची: वाराणसी में सर्वे के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है. मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार 'यह वही शिवलिंग है, जिसे अकबर के वित्त मंत्री टोडरमल ने 1585 में स्थापित कराया था. तब उनके साथ बनारस के पंडित नारायण भट्ट भी थे. शिवलिंग का ऊपरी कुछ हिस्सा औरंगजेब की तबाही में क्षतिग्रस्त हो गया था. यह शिवलिंग बेशकीमती पन्ना पत्थर का है. रंग हरा है. हालांकि शिवलिंग के साइज को लेकर कई दावे सामने आए हैं.
यह शिवलिंग श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित नंदी के सामने वाले ज्ञानवापी के हिस्से में है. नंदी महाराज के सामने जो तहखाना है, उसी में अंदर मस्जिद के बीचों-बीच आज भी शिवलिंग दबा है. इसका अरघा भी काफी बड़ा है.' हिंदू पक्ष के पैरोकार जितेंद्र सिंह बिसेन के अनुसार, 'ज्ञानवापी में इतने साक्ष्य मिले हैं, जो अभी उजागर नहीं किए जा सकते हैं. बस अभी इतना बताना चाहता हूं कि करीब साढ़े 12 फीट का शिवलिंग मिला है.
नंदी के टीक सामने है शिवलिंग
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी के अनुसार ज्ञानवापी मस्जिद में जिसे तहखाना कहा जा रहा है वह असलियत में मंदिर मंडपम है. तहखाना के बजाय मंडपम कहें तो बेहतर होगा. डॉ. तिवारी ने बताया कि उनके परिवार के पंडित नारायण भट्ट ने पन्ना पत्थर का शिवलिंग स्थापित कराया था. 90 के दशक में वाराणसी के DM रहे सौरभ चंद्र श्रीवास्तव ने तब मंडपम में ताला बंद कराया था तो उस समय भी अंदर फोटोग्राफी हुई थी, जिसमें वह शामिल थे. उस समय देखा था कि अंदर नंदी के ठीक सामने ही शिवलिंग है.
कोर्ट ने स्थान को सील करने के आदेश दिए
हरिशंकर जैन के प्रार्थना-पत्र पर कोर्ट ने वाराणसी प्रशासन को उस जगह को सील करने का आदेश दिया, जहां शिवलिंग मिला है. कोर्ट ने यह भी कहा कि उस जगह को सुरक्षित करें. संरक्षित करें. वहां किसी को भी जाने न दें. कोर्ट ने DM, पुलिस कमिश्नर और CRPF कमांडेंट को उस जगह को संरक्षित और सुरक्षित करने की व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदारी दी है.