रांची : रूपा तिर्की मौत मामले में सीबीआई (CBI) जांच करेंगी, इसके लिए अदालत ने पिता देवानंद उरांव के द्वारा दायर क्रिमिनल रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए आदेश दिया है. ये आदेश जस्टिस एस के द्विवेदी की अदालत में दिया गया.
झारखंड हाईकोर्ट ने साहेबगंज की दिवंगत महिला थाना प्रभारी रुपा तिर्की की मृत्यु की मामले की जांच सीबीआई से करवाने का आदेश दिया है. अदालत ने साहिबगंज महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की संदेहास्पद मौत के मामले में उनके पिता द्वारा दायर याचिका पर अपना फैसला सुनाया है. मंगलवार को सभी पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. रुपा तिर्की की मृत्यु के बाद से ही उसके परिजनों समेत कई सामाजिक संगठनों ने सीबीआई जांच की मांग करते हुए आंदोलन किया था और न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया था.
कोर्ट ने मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस माना है
साहिबगंज महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की के मामले को झारखंड हाइकोर्ट मामले ने ‘Rarest Of Rare Case’ बताया है. थाना प्रभारी रूपा तिर्की के मौत का मामला काफी उलझा हुआ है, कोई इसे आत्महत्या तो कोई हत्या बता रहा है. इस मसले को सुलझाने के लिए काफी कोशिश की जा रही है. यहां तक की SIT की टीम का भी गठन हुआ, लेकिन परिणाम शून्य था. काफी मशक्कत के बाद भी जब मसला नहीं सुलझा तो झारखंड हाईकोर्ट ने CBI को मामले की जांच का आदेश दिया.
अर्धनग्न अवस्था में मिली थी रूपा तिर्की
अभी से करीब 4 महीने पहले 3 मई 2021 थाना प्रभारी रूपा तिर्की साहिबगंज के पुलिस लाइन स्थित अपने सरकारी क्वार्टर में अर्धनग्न अवस्था में मिली मिली थी. यही से गुत्थी शुरू हुई, जिसके बाद साहिबगंज पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए 5 सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था. इस मामले में जांच के बाद रूपा तिर्की की मौत को आत्महत्या बताया गया था. आत्महत्या का करण प्रेम प्रसंग बताया गया था. रूपा तिर्की के बैचमेट सब इंस्पेक्टर शिव कुमार कनौजिया को उसका प्रेमी बताया गया था. शिव कुमार कनौजिया चाईबासा पुलिस बल में कार्यरत था.
पिता ने किया SIT के जांच का खंडन
SIT के जांच के बाद रूपा तिर्की के पिता ने प्रेम-प्रसंग की बात का खंडन करते हुए कहा कि रूपा तिर्की ने आत्महत्या नहीं की है, बल्कि हत्या की गयी है. पुलिस इसे प्रेमप्रसंग का मामला बता आत्महत्या का रंग दे रही है. जिसके बाद रूपा तिर्की के पिता देवानंद उरांव ने मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर रिट क्रिमिनल याचिका दायर थी.
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अवमानना केस की सुनवाई
महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता के खिलाफ अवमानना केस चलाने को लेकर भी बुधवार कोसुनवाई हुई. दोनों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा. सिब्बल ने कहा कि ऐसा कोई शब्द का उपयोग नहीं किया गया है. जिससे कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचे और अवमानना का केस बने. सिब्बल ने कहा कि किसी भी केस के फैसला होने से पहले कोई कैसे कह सकता है कि यह केस 200 फ़ीसदी सीबीआई को जाएगा.