श्रीकांत/न्यूज़11 भारत
गिरीडीह/डेस्क:-हर हाथ को काम दो, काम का पूरा दाम दो' मनरेगा का ये नारा रहा है.मनरेगा हर ग्रामीण परिवार को न्यूनतम वेतन के साथ 100 दिन के रोज़गार की गारंटी देता है मगर क्या मनरेगा कानून का सही लाभ ग्रामीण इलाके में मजदूरों व लाभुकों को मिल पा रहा है यह अपने आप मे बड़ा सवाल है .दरसल मनरेगा योजनाओं में गड़बड़ी व भ्रष्टाचार के मामले आते रहते हैं. ताजा मामला जिले के सदर प्रखंड के खावा पंचायत का है जहां ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि मनरेगा के दर्जन भर योजनाओं में गड़बड़ी व जमकर भ्रष्टाचार हुआ है. आवेदन के माध्यम से ग्रामीणों ने मामले की शिकायत उपायुक्त से की है .ग्रामीणों के शिकायत के बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी ने प्रखंड समन्वयक अजय कुमार और जई अब्बास अंसारी को योजना में बरती गई गड़बड़ी की जांच की जिम्मेवारी दी है. जांच के लिए गठित टीम ने खावा पंचायत में योजनाओं की जांच की है . सूत्रों की माने में कई योजनाओं में बिना कार्य पूर्ण हुए भुगतान कर दिया गया .वही कई योजना महज खानापूर्ति के लिए बनाई गई है मसलन पंचायत में संचालित डोभा निर्माण, खेल मैदान ,कच्ची सड़क, कूप निर्माण विभन्न प्रकार के पशु शैड, मेढ़ बंदी योजना में मद से ज्यादा राशि निकाले समेत कई मामले की जांच की जा रही है.
पंचायतों में मनरेगा एक्ट की अनदेखी
दरसल मनरेगा कानून के तहत पंचायत में 60 /40 का अनुपात का पालन कई पंचायतों में नहीं हुआ है श्रमांस मद में 60 % राशि खर्च होनी है वही 40% सामग्री मद में मगर वेंडर को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों को ताक में रखकर निर्धारित सीमा से कई गुणा अधिक पक्का योजना का चयन किया गया .वही कई कार्यों में जरूरी अभिलेख तैयार व पूरे किए बिना यानी बिना मापी के ही भुगतान कर दिया गया . कई योजनाओं को ओंगोइंग दिखाकर निकासी कर ली गई . गंभीरता से जांच में कई प्रकार के चौकाने वाले खुलासे सामने आ सकते हैं .
क्या कागजो पर हो रही विकास योजनाओं में सामग्री की आपूर्ति
दरसल मनरेगा योजना में वेंडर्स जिनकी कोई प्रतिष्ठान नहीं है वह भी मनरेगा में सामग्री आपूर्ति का कार्य कर रहे हैं ऐसे दुकानदारों की संख्या जिले में अधिक है कई वेंडर की संबंधित प्रखंड में धरातल पर प्रतिष्ठान नहीं है
इसमें चयनित कई दुकानें कागजों पर हैं या फिर फिलहाल क्षणिक तौर पर किराए के कमरों में थोड़ी बहुत सामग्री रखकर दुकान की तस्वीर लगा दी गई है वे मनरेगा में सामग्री मसलन ईट, सीमेंट, बालू, गिट्टी, छड़ इत्यादि की आपूर्ति कैसे करेंगे यह अलग सवाल है.
क्या है ग्रामीणों का आरोप
ग्रामीणों ने आवेदन के माध्यम से बताया कि कई स्थान पर जेसीबी का उपयोग कर मजदूरों का हक मारा गया है लेकिन संबंधित लोग जिनके जिम्मे यह कार्य है वह अपने कार्य के प्रति जवाबदेह नहीं है ग्रामीणों की माने तो कई योजनाओं में बिना कार्य पूर्ण हुए और बिना एमबी बुक हुए पैसे की निकासी कर ली गई वही गई कई पुरानी योजनाओं को दिखा कर ही भुगतान कराया गया तो गाय बकरी व पशु शेड वैसे लोगों को दिया गया जो सम्पन्न घराने से है जिनके घर न तो पशु है न जानवर सभी पशु शेड का इस्तेमाल दुकान गैराज या घर के बैठकी के लिए कर रहे हैं ग्रामीणों ने जांच टीम पर ही सवाल खड़ा किया है और पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.
क्या कहते हैं जांच टीम के अधिकारी व मुखिया
वहीं जांच टीम में शामिल ब्लॉक कॉर्डिनेटर अजय कुमार बताते हैं कि पूरे मामले की जांच की जा रही है इस संबंध में वे रिपोर्ट प्रखंड विकास अधिकारी को जल्द सौंपेंगे .वही खावा पंचायत के मुखिया बताते हैं कि जांच टीम द्वारा जांच की गई. कुछ योजनाओं में बिना मापी के भुगतान की शिकायत की बात सामने आई थी जिसका कार्य ओंगोइंग है .वही उन्होंने योजनाओं के गलत चयन व जेसीबी के इस्तेमाल को गलत मुखिया ने गलत बताया है और आरोप को निराधार बताया है .