NEWS11 स्पेशलPosted at: अप्रैल 29, 2022 10 साल बाद पर्यटन विभाग के प्रशाखा पदाधिकारी प्रेम शंकर प्रसाद के खिलाफ हुई कार्रवाई
सेवानिवृति के 10 साल बाद पेंशन में कटौती, सभी सुविधाएं की गयी समाप्त
न्यूज11 भारत
रांची: झारखंड के पर्यटन कला संस्कृति और खेलकूद विभाग की तरफ से प्रशाखा पदाधिकारी रहे प्रेम शंकर प्रसाद के खिलाफ कई तरह की कार्रवाई शुरू की गयी है. सबसे पहले इनके पेंशन में से पांच प्रतिशत राशि की कटौती आजीवन करने का निर्देश दिया गया है. इसके अलावा सहायक से लेकर प्रशाखा पदाधिकारी तक के प्रमोशन को रद्द कर दिया गया है. इतना ही नहीं इनका वेतनमान प्रवर कनीय कोटी से लेकर प्रवर वरीय कोटी तक के लाभ को भी समाप्त कर दिया गया है. इसका कारण एक ही है. सरकार का मानना है कि प्रेम शंकर प्रसाद की सेवा बिहार से झारखंड को सौंपी गयी थी. 1978 में प्रेम शंकर प्रसाद की नियुक्ति अविभाजित बिहार में सहायक के पद पर प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर हुई थी. जब उनकी सेवा झारखंड अलग राज्य बनने के बाद झारखंड को सौंपी गयी, तो राज्य कर्मियों के संवर्ग विभाजन में उन्हें अनुसूचित जनजाति के श्रेणी में पदस्थापित किया गया, जिसमें इनकी वरीयता सूची 175 थी. बिहार सरकार के कल्याण विभाग की तरफ से बीडीओ सदर छपरा ने 1992 में जाति प्रमाणपत्र निर्गत किया. इस प्रमाण पत्र के आधार पर प्रेम शंकर प्रसाद की सेवापुस्ति दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के तत्कालीन डीआइजी ने 23 अप्रैल 1992 को की.
उधर सरकार का कहना है कि 12 जनवरी 1978 को सामान्य श्रेणी में प्रेम शंकर वर्मा की नियुक्ति हुई थी. अनुसूचित जाति की सूची में इनकी जाति पान, स्वासी जाति के रूप में वर्गीकृत किया गया था. सरकार के अनुसार पान जाति के होने पर प्रेम शंकर प्रसाद ने अपनी नियुक्ति के समय जाति के अनुरूप अनुसूचित जाति के सदस्य का दावा प्रसस्तुत नहीं किया. सरकार का मानना है कि सेवा संपुष्टि मामले में अनियमित रूप से इंट्री करा कर प्रेम शंकर प्रसाद ने सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाया. सरकार के अनुसार प्रेम शंकर प्रसाद का सारा कृत्य सरकारी सेवक के आचरण एवं सत्यनिष्ठा के विपरीत है. 30 जून 2011 को प्रेम शंकर प्रसाद पर्यटन विभाग से सेवानिवृत हुए. झारखंड सरकार ने सभी पक्षों को ध्यान में रखकरइन्हें दी गयी प्रोन्नति वापस ले ली. साथ ही प्रशाखा पदाधिकारी बनने तक की अधिसूचना को 26 अगस्त 2000 को रद्द कर दिया गया. गलत प्रोन्नति के फलस्वरूप इन्हें जो वेतन मिला, उसकी वसूली को लेकर भी पर्टयन विभाग की तरफ से निर्देश जारी किये गये हैं.