चाईबासा अंचल में बिना बिल के ही जेई ने अपने पावर से कर दिया था अग्रिम राशि का भुगतान
न्यूज11 भारत
रांची: पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल चाईबासा, प्रशाखा मंझारी में एक जेई है कामदेव उरांव. अगले एक वर्ष तक वार्षिक वेतन वृद्धि पर विभाग ने रोक लगा दिया है. जेई को 62 हजार रुपए के गलत भुगतान का दोषी पाया गया है. यह भुगतान जेई ने बिना किसी विपत्र, यानी बिल के ही अग्रिम के रुप में भुगतान कर दिया. राशि किसे दी, किस एवज में दी, यह जानकारी विभाग को नहीं दी. जांच हुई तो जेई गलत अग्रिम भुगतान का दोषी पाया गया. जिसके बाद पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने जेई को झारखंड सरकारी सेवक नियमावली 2016 के नियम 14 के तहत कार्रवाई करते हुए वेतन वृद्धि असंचयात्मक प्रभाव से अवरुद्ध कर दिया गया. इस संबंध में पेयजल विभाग के संयुक्त सचिव पशुपति नाथ मिश्र ने अधिसूचना जारी कर दिया है.
पेयजल विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में बताया गया है कि कनीय अभियंता कामदेव उरांव चाईबासा स्थित UBI के खाता संख्या- 1649010017116 में जमा राशि की निकासी गलत ढंग से की. खाते में जमा राशि में से कुल 62 हजार रुपए अग्रिम की राश भुगतान अनियमित, यानी गलत बिल के आधर पर कर दिया गया. बिल में टैक्स, वर्क ऑर्डर आदि की जानकारी तक नहीं दी गई थी. मनमर्जी तरीके से राशि का भुगतान अग्रिम के रूप में कर दिया गया. अनियमित तरीके से भुगतान कर सरकारी राशि का अपव्यय करने का मामला विभाग के संज्ञान में आते ही जांच शुरू हुई.
जेई ने दो बार स्पष्टीकरण सौंपा, जो अस्वीकार योग्य पाया गया
जांच के क्रम में कामदेव उरांव से स्पष्टीकरण पूछा गया था. जेई ने अपना स्पष्टीकरण विभाग को समर्पित किया था. विभाग द्वारा समर्पित स्पष्टीकरण की समीक्षा विभाग द्वारा की गई, जिसमें जेई द्वारा प्रस्तुत तथ्य स्वीकारयोग्य नहीं पाए गए. मामले में समीक्षोपरांत समक्ष प्राधिकार द्वारा लिए गए निर्णय के आलोक में झारखंड सरकारी सेवक नियमावली 2016 के नियम 17 के तहत विभागीय कार्रवाई संचालित किया गया. संचालित विभागीय कार्रवाई में जांचोपरांत जांच सचालन पदाधिकारी द्वारा जांच प्रतिवेदन विभाग को उपलब्ध कराया गया. जिसमें जांच संचालन पदाधिकारी द्वारा जेई के विरुद्ध उक्त प्रतिवेदित आरोप को अप्रमाणित बतलाया गया. जांच प्रतिवेदन में वर्णित बिंदुओं की समीक्षा विभाग द्वारा की गई. यह पाया गया कि कनीय अभियंता के पदीय कर्त्तव्य के अंतर्गत स्थापित नियमों के तहत कनीय अभियंता को विपत्र बनाते समय सभी कटौतियों का उल्लेख विपत्र में करना चाहिए, लेकिन उरांव द्वारा विपत्र में टैक्स आदि का उल्लेख तक नहीं किया गया. दूसरी बार उपरोक्त बिंदुओं पर जेई से कारण पूछा गया. इस बार भी जेई के जवाब को स्वीकार नहीं किया गया. जेई द्वारा विभाग को सौपा गया पक्ष अस्वीकारयोग्य पाया गया. जिसके बाद जेई पर कार्रवाई का निर्णय लिया गया.