आर्यन श्रीवास्तव/न्यूज़11 भारत
कोडरमा/डेस्क:-कोडरमा जिले में डोमचांच प्रखंड के मसनोडीह पंचायत स्थित सखुवाटांड में रह रहे आदिवासी टोला के लोग पिछले कई वर्षो से सड़क, पानी, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.सरकार व अधिकारियों का दावा है कि अधिकांश क्षेत्रों में घर-घर तक नल का जल पहुंचाया जा चूका है.लेकिन, धरातल पर स्थिति बिलकुल विपरीत है.गांवों में बिजली, सड़क, पानी की कोई समुचित व्यवस्था न होने से लोगों को काफी दिक्कतें हो रही हैं.इसे गांव का दुर्भाग्य कहें या शासन-प्रशासन की लापरवाही.लेकिन, यह सच है की जंगलों में बसे कई गांवों में यहां के ग्रामीण मूलभूत सुविधा पानी,सड़क,बिजलीऔर शिक्षा से परेशान हैं।जिला के डोमचांच प्रखंड के यह इलाका करीब 15 घरों में लगभग 150 लोगों की आबादी निवास करती है.
सखुवाटांड गांव के लोग सुबह उठने के साथ पानी व सोने तक पानी के बंदोबस्त को लेकर परेशान रहते हैं.स्थानीय लोग करीब एक किलोमीटर पैदल चलकर चुंवा से गंदा पानी लाने पर विवश है.इसी पानी की लोग पीते है और घरेलू उपयोग में भी लाते हैं।इसमें बच्ची व महिलाओं की संख्या अधिक है.पानी का रंग देखते ही आम लोगों को डर लग जाता है।यही दूषित पानी भरकर सखुवाटाड वासी पेयजल, स्नान व खाना बनाने में इस्तेमाल करते हैं.वही लोग गड्ढा खोदकर उसे पर पत्थर डालकर पानी का उपयोग करते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक यहां गर्मी क्या हर मौसम में पेयजल संकट पाया जाता है.कई बार जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक अधिकारी को भी आवेदन दिया गया, परंतु रत्ती भर पहल नहीं हुई.
चुनाव के समय वादे तो होते हैं, लेकिन जीत जाने के बाद समस्या जस की तस बनी रह जाती है.ग्रामीण चुआं व नाले का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं.यही नहीं दूषित पानी की वजह से ग्रामीण गंभीर बीमारी की भी चपेट आते है.सड़क नही रहने के कारण लोगो को हॉस्पिटल ले जाने के लिए खाट पर उठाकर करीब 3 किलोमीटर पैदल चलकर मुख्य सड़क पर लाया जाता है, जिससे कभी भी अनहोनी होने की संभावना भी बनी रहती है.