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रांचीः राज्यसभा से विपक्ष के 19 सासंदों को निलंबित किया गया. यह कार्रवाई सदन के वेल में प्रवेश करने और नारेबाजी करने को लेकर की गई है. बता दें, तृणमूल कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव, डॉ. शांतनु सेन और डोला सेन सहित 19 सांसदों को राज्यसभा से सप्ताह अंत तक के लिए सस्पेंड कर दिया गया है. निलंबित किए गए सांसदों में सुष्मिता देब, डॉ. शांतनु सेन समेत 7 तृणमूल कांग्रेस के, हमीद अब्दुल्ला, आर गिरिरंजन समेत 6 द्रमुक (DMK) के, बीएल यादव, दामोदर राव दिवाकोंडा व रविहंद्रा वेद्दिराजू तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के, एए रहीम और वी. शिवदासन मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा) और संतोष कुमार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) शामिल हैं.
भारी मन से लिया गया निलंबित का फैसला- गोयल
इधर राज्यसभा से निलंबन पर विपक्ष ने सरकार पर जनकर निशाना साधा है. वहीं इस मामले में केंद्रीय मंत्री और BJP नेता पीयूष गोयल ने कहा, "सांसदों को निलंबित करने का फैसला भारी मन से लिया गया, वे लगातार चेयरमैन की अपील की अनदेखी कर रहे थे. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के कोविड संक्रमण से उबरने और संसद लौटने के बाद सरकार महंगाई के मुद्दे पर बहस के लिए तैयार हैं." उन्होंने कहा कि सदन ने निर्णय लिया कि जो सदस्य कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले रहे हैं, उनको सस्पेंड किया जाए. हम बताना चाहते हैं कि भारत में अन्य देशों के मुकाबले महंगाई कम है. विपक्ष चर्चा से भाग रहा है.
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लोकसभा के 4 कांग्रेसी सांसद पहले ही हुए है निलंबित
इस बीच सांसदों के निलंबन पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस की ओर से कहा गया है, "आप हमें सस्पेंड कर सकते हैं लेकिन हमें चुप नहीं करा सकते. दयनीय स्थिति है, हमारे सांसद..लोगों के मुद्दे उठाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उन्हें सस्पेंड किया जा रहा है. यह कब तक चलेगा? संसद की पवित्रता से समझौता किया गया है. बता दें, लोकसभा में हंगामे पर स्पीकर ओम बिरला ने कांग्रेस के चार सदस्यों को पूरे सत्र के लिए निलंबित किया है उसके ठीक एक दिन बाद विपक्ष के सांसदों पर यह कार्रवाई फिर से सामने आई है. बता दें, लोकसभा में हंगामे के लिए कांग्रेस सांसद ज्योतिमणी, माणिकम टैगोर, टीएन प्रथापन और राम्या हरिदास को सोमवार को सस्पेंड किया गया था.