झारखंड » हजारीबागPosted at: अप्रैल 21, 2024 आखिर क्यों नहीं बन पा रहा चुनावी मुद्दा: जमीन माफिया, बिजली संकट से "जंग" लड़ रही हजारीबाग की जनता
कोई मोदी तो कोई राहुल के नाम पर मांग रहा वोट,अंचल कार्यालयों में व्याप्त करप्शन पर जन प्रतिनिधियों के होठ सिले
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क:-कभी मिनी शिमला के रूप में विख्यात " हजार बागों के शहर" हजारीबाग का तापमान 44 डिग्री के पर चल रहा. जिले में बिजली संकट का यह हाल की हजारीबाग की शहरी और ग्रामीण जनता को ना दिन में चैन है ना रात में दिनभर और रातभर हर आधे घंटे बाद बिजली काट दी जा रही. लोग न तो चैन से सो पा रहे और ना ही जाग पा रहे. बिजली कटौती का यह सिलसिला हर आधे, एक घंटे बाद जारी रहता है. यह अलग बात है कि बिजली विभाग जीरो कट बिजली हजारीबाग की जनता को देने की घोषणा कई बार कर चुका. पर घोषणा तो घोषणा ही रहती. जनप्रतिनिधि भी मौन हैं. न तो सत्ता पक्ष ना विपक्ष इस जवलंत समस्या पर अपनी अपनी मुंह खोल रहा. सबके होठ सील गए हैं. यहां कोई मोदी के नाम पर वोट मांग रहा तो कोई राहुल के नाम पर. ऐसे में पीस तो रही है हजारीबाग की जनता. शहर के अलावा गांवों में भी ऐसे कम ही घर होंगे जहां इन्वर्टर नही हैं, मगर बिजली संकट का यह हालत है की अब इस वैकल्पिक व्यवस्था ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं. घरों, दुकानों में इन्वर्टर अब शोभा की वस्तु बनकर रह गया है. सुरज का ताप इतना बढ़ गया है की अब लोगो का दिन दस बजे से शाम पांच बजे तक घरों से निकलना मौत को आमंत्रण देने के समान हो गया है. दिन दस बजे के बाद से ही गर्म हवा के झोंके चलने शुरू हो जाते. बिजली विभाग का कहना है कि लोड ज्यादा होने के कारण लाइन स्वतः ट्रिप कर जा रही. लोग पूछते हैं की इस भीषण गर्मी में वीआईपी इलाकों की लाइन ट्रिप क्यो नही करती. खैर जो भी हो इस समस्या का समाधान भी तो बिजली विभाग को ही करना है.
अब बात करते हैं भ्रष्टाचार की. जिले के सभी अंचलों में यह कोढ़ में खाज की तरह व्याप्त हैं. अंचल जाने पर दाखिल खारिज, एलपीसी, परिवारिक सूची बनाने से लेकर कोई भी काम बिना पैसे के नही होता. हर काम के लिए रेट तय है. यदि लोग अपने काम के लिए सीधे अंचल गए तो लोगो को बार बार दौड़ाया जाता. आवेदन बाद में कोई बहाना बनाकर निरस्त कर दिया जाता. यही काम यदि दलाल के मार्फत कराया जाए तो आवेदन में कोई कमी नहीं दिखती और बड़े से बड़ा काम चुटकियों में अंचल के लोग निपटा देते.
इन मुद्दों पर कोई प्रत्याशी कुछ नही बोल रहा
अभी लोकसभा चुनाव होने जा रहे. भाजपा प्रत्याशी सदर विधायक मनीष जायसवाल, कांग्रेस प्रत्याशी जेपी पटेल तुफानी जनसंपर्क अभियान चला रहे. मगर जनता के वास्तविक मुद्दे पर इनके होठ सिल गए हैं. मनीष मोदी के नाम पर तो जेपी पटेल राहुल के नाम पर वोट मांग रहे. आम लोगो की समस्या पर कोई भी एक शब्द नहीं बोल रहे.
जिले में जमीन दलालों/माफियाओं का आतंक, पर जनप्रतिनिधि "खामोश"
आज की तारीख में अगर हजारीबाग की जनता मूलभूत समस्याओं से परेशान है तो जिले में जमीन माफिया का भी उनमें कम खौफ नही. ग्रामीण से लेकर शहरी जनता तक जमीन दलालों और माफियाओं से त्रस्त है. ये दबंग कब किसकी जमीन पर कब्जा कर ले कोई नही जानता. अंचल के कर्मचारियों को अपने इलाके की जमीन की जितनी जानकारी नहीं होगी उससे ज्यादा ये जमीन माफिया जानकारी रखते. अपने अपने इलाके की एक एक जमीन का रिकार्ड इन जमीन दलालों और माफियाओं के पास होता. इन जमीन दलालों को अंचल से लेकर स्थानीय थाना तक का संरक्षण हासिल है. थानों से लेकर अंचल कार्यालय तक इनकी हनक है. मगर इन जमीन दलालों के विरोध में बोलने का साहस भी ये प्रत्याशी नही जुटा पा रहे, ना ही इसे चुनावी मुद्दा बना पा रहे.