प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क:-श्री रामकृष्ण शारदा आश्रण शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में छह दिवसीय व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरूआत मुख्य अतिथि प्रो. डॉ. प्रमोद कुमार नाईक, प्राचार्य डॉ. समाप्ति पॉल, आईक्यूएसी समन्वयक डॉ.परीक्षित लायक, डॉ. अपोलिना बाख़ला एव अन्य सहायक प्राध्यापकों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर किया गया. इसके बाद एसके दुबे एवं विवेक कुमार रवि के अगुवाई में प्रशिक्षुओं द्वारा एक सुमधुर स्वागत गीत पेश किया गया. प्राचार्य डॉ0 पॉल के द्वारा मुख्य अतिथि को पुष्प गुच्छ प्रदान करने एवं स्वागत भाषण के बाद मुख्य अतिथि सह वक्ता डॉ0 नाईक ने आज के विषय “नवाचार और अनुकूलन में भारतीय ज्ञान प्रणाली” विषय पर अपना विचार देते हुए कहा – वर्तमान शिक्षा प्रणाली हमारी परंपरा पर आघात है, आधुनिक शिक्षक व्यावसायिकता को बढ़ावा दे रही है, फलस्वरूप मौलिकता, सामाजिक, जवाबदेही समाप्त होती जा रही है. नई शिक्षा व्यवस्था का ही परिणाम वृद्धाश्रम है. आधुनिक युग में शिक्षा नहीं उपाधि दी जा रही है. सैद्धांतिक से ज्यादा व्यवहारिक शिक्षा आवश्यक है. हमें पाठ्यक्रम प्रारूप को बदलने की जरूरत है. भारतीय होने के नाते पुरानी शिक्षा व्यवस्था को जीवित करना होगा, अन्यथा लोगों का जीना जटिल हो जाएगा.
कार्यक्रम में डॉ. बीएस निरंजन, डॉ. कुलदीप सिंह, तनिमा प्रिया, वीएन पाण्डेय, डॉ. सोमा सरकार, दयानन्द कुमार यादव, एसके सोनी, श्यामली सलकर, डॉ. सत्या सिंह, गोपाल राम, सिन्टु कु. वर्मा, प्रितेश श्रीवास्तव, सत्यजीत बेरा एवं सभी प्रशिक्षु मौजूद थे.