न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः योग गुरू कहे जाने वाले बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर से झटका लगा है. दरअसल, रामदेव के 'पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट' संस्था को अब सेवा शुल्क यानी कि सर्विस टैक्स चुकाना पड़ेगा. क्योंकि योग शिविर सर्विस टैक्स के दायरे में आ गया है. इस संबंध में सर्विस टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल के फैसले को सर्वोच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) के जस्टिस उज्जवल भुइयां और जस्टिस अभय एम ओके की पीठ ने बरकरार रखा है. जिसमें पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को गैर आवासीय और आवासीय दोनों योग शिविरों के आयोजन के लिए सर्विस टैक्स का भुगतान अनिवार्य बताया था.
आपको बता दें, रामदेव के योग शिविरों के आयोजन में पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट वहां पहुंचने वाले लोगों से एंट्री फीस (प्रवेश शुल्क) लेती है. वहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एम ओके और जस्टिस उज्जवल भुइयां की पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि ''सर्विस टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल ने सही कहा है कि एंट्री फीस लेने के बाद तो शिविरों में योग एक सेवा (सर्विस) है. ऐसे में ट्राइब्यूनल के आदेश में हस्तक्षेप करने का हमें कोई कारण बनता नजर नहीं आता है. लिहाजा 'पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट' की अपील खारिज कर दी जाती है.'' इसके साथ ही कोर्ट ने उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क और सेवा कर (सर्विस टैक्स) अपीलीय ट्राइब्यूनल की 5 अक्टूबर, 2023 के इलाहाबाद पीठ के आदेशों में अपना हस्तक्षेप करने से साफ मना कर दिया.
4.5 करोड़ का चुकाना होगा सर्विस टैक्स
केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क, मेरठ रेंज के आयुक्त ने योग गुरू बाबा रामदेव के संस्था 'पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट' से जुर्माना और ब्याज के साथ अक्टूबर 2006 से मार्च 2011 के बीच लगाए गए ऐसे शिविरों को लेकर करीब 4.5 करोड़ अदा करने का निर्देश दिया है. पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट ने इन योग शिविरों के जरिए ये दलील दी थीं कि वे ऐसी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं जिनसे बीमारियों का इलाज होता है और यह 'हेल्थ एंड फिटनेस सर्विस' कैटेगरी के तहत टैक्स योग्य नहीं है. इसपर ट्राइब्यूनल ने कहा कि यह दावा किसी भी सकारात्मक सबूत द्वारा समर्थित नहीं है जो कि किसी भी व्यक्ति को होने वाली विशिष्ट बीमारियों के लिए उपचार प्रदान कर रहा है.