रांची : झारखंड पुलिस स्मार्ट थाना और हाई तकनीक से लैस हो गई है लेकिन रांची पुलिस के पास गश्ती के लिए एक्सपायरी गाड़ियों से क्राइम कंट्रोल किया जा रहा है. शहर के लगभग थानों में खटारा गाड़ियों की भरमार है, जिससे थाना प्रभारी से लेकर गश्ती दल इस्तेमाल करते हैं.
गाड़ी की टूटी-फूटी हुई बॉडी, टूटा हुआ हेडलाइट, बिना नंबर प्लेट की गाड़ियां किसी गैरेज पर नहीं खड़ी है, बल्कि इन गाड़ियों को राजधानी रांची के विभिन्न थानों में गश्ती दल और थाना प्रभारी इस्तेमाल करते हैं. राजधानी रांची में मौजूद थानों में खटारा गाड़ियां यह बता रही है कि किस परिस्थिति में रांची पुलिस कानून व्यवस्था और क्राइम कंट्रोल कर रही है. गस्ती के लिए मौजूद खटारा गाड़ियों का इस्तेमाल शहर के विभिन्न थाना क्षेत्र के थाना प्रभारी और गश्ती दल करते हैं. गाड़ियों की स्थिति ऐसी कि अगर किसी अपराधी का पीछा किया जाए तो गाड़ी दम तोड़ देती है. खटारा गाड़ियों को थाना प्रभारी अपने खर्च से बनवाते हैं और फिर इस्तेमाल किया जाता है.
रांची सहित झारखंड सहित के अन्य जिलों में पिछले पांच-छह वर्षों में कई नए थाना भवनों का निर्माण हुआ है, तो कई पीओपी खोले गए हैं. इन सबके बावजूद गाड़ियों की संख्या में वृद्धि नहीं की गई है. 20-20 साल पुरानी गाड़िया इस्तेमाल की जा रही है. आज आलम यह है कि खटारा गाड़ियों का इस्तेमाल थानों में किया जा रहा है. इसी हालात में रांची पुलिस लगातार काम करते नजर आ रही है. रांची के सुखदेव नगर लोअर बाजार सदर थाना सहित कई थानों के गाड़ियों का हाल खस्ता है. किसी तरह पुलिसकर्मी गश्ती करते नजर आते हैं. झारखंड पुलिस एसोसिएशन भी डिमांड कर रही है कि पुलिसकर्मियों को काम करने के लिए गाड़ियां खरीदनी चाहिए.
राजधानी में अगर क्राइम कंट्रोल करना है तो खटारा गाड़ियों को भी बदलना होगा. क्योंकि अपराधी हाई स्पीड मोटरसाइकिल का इस्तेमाल करते हैं, तो रांची पुलिस खटारा गाड़ियों को उपयोग में लाती है. इसी से समझा जा सकता है कि कैसे अपराधी ऑन द स्पॉट पकड़े जाएंगे.