लोक जनशक्ति पार्टी अब दो हिस्सों में बंट गई है. चिराग पासवान से बगावत कर पशुपति पारस के साथ जाने वाले बागी सांसदों प्रिंस पासवान, वीणा सिंह, चंदन कुमार और महबूब अली कैसर के जेडीयू में शामिल होने की चर्चा है. रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस ने पांच सांसदों को साथ लेकर अब पार्टी पर अपना अधिकार जता दिया है, वहीं चिराग पासवान अब अलग-थलग हो गए हैं.
पशुपति कुमार पारस ने नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को अच्छा प्रशासक बताया. उन्होंने कहा कि साल 2014 से ही लोक जनशक्ति पार्टी एनडीए का हिस्सा रहेगी ऐसे में वह अभी भी एनडीए में ही बनी रहेगी. नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए पशुपति कुमार पारस ने कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार के विकास के लिए काम किया है और भविष्य में भी वह काम करते.
पशुपति पारस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हमारे भाई चले गए, हम अकेला महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी की बागडोर जिनके हाथ में गया, तब से सभी लोगों की इच्छा थी 2014 में और इस बार भी हम एनडीए के साथ बने रहें. लोक जनशक्ति पार्टी बिखर रही थी, असमाजिक तत्व आ रहे थे, एनडीए से गठबंधन को तोड़ दिया और कार्यकर्ताओं की नहीं सुनी गई. इसी के साथ उन्होंने बताया कि हमारी पार्टी के पांच सांसदों की इच्छा थी कि पार्टी को बचाना जरूरी है. मैंने पार्टी तोड़ी नहीं है, पार्टी को बचाया है.
उन्होंने कहा कि पिछले साल हमारे भैया रामविलास पासवान का निधन हुआ, उससे पहले करीब 20 बरस उनके नेतृत्व में पार्टी बहुत बढ़िया तरीके से चल रही थी. कहीं कोई शिकवा शिकायत नहीं थी.
पशुपति ने कहा कि पार्टी की बागडोर जिनके हाथ में गई उन्होंने 99 फीसदी कार्यकर्ता की भावना की अनदेखी कर गठबंधन को तोड़ दिया. गठबंधन भी तोड़ा तो बेहद अजीब तरीके से, किसी से दोस्ती करेंगे, किसी से प्यार करेंगे, किसी से नफरत करेंगे. इसका परिणाम यह हुआ कि बिहार में एनडीए गठबंधन कमजोर हुआ, लोक जनशक्ति पार्टी बिल्कुल समाप्ति के कगार पर चली गई.
वहीं पशुपति ने कहा कि जबतक मैं जिंदा हूं, पार्टी को जिंदा रखेंगे. मुझे चिराग पासवान से कोई दिक्कत नहीं है, अभी भी ओरिजनल पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी ही है. चिराग अभी तक पार्टी के अध्यक्ष हैं, लेकिन अब वह हमारे साथ आना चाहें तो आ सकते हैं.