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रांची/डेस्कः पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दिल्ली आवास से 36 लाख रुपए की बरामदगी वाली खबर को प्रसारित करने मामले में झारखंड पुलिस दिल्ली के 4 पत्रकारों से पूछताछ करेगी. इसे लेकर झारखंड पुलिस ने तीन न्यूज चैनल के 4 पत्रकारों को तलब किया है. इन न्यूज चैनल में यह दावा किया गया था कि हेमंत सोरेन के दिल्ली आवास से 36 लाख रुपए बरामद किए गए थे. जो रांची के बरियातु स्थित सेना के कब्जे वाली जमीन घोटाला मामले में इस वक्त होटवार जेल में बंद हैं. इस संबंध में एक पुलिस अधिकारी ने बताया है कि तलब किए गए दिल्ली के चार पत्रकारों से उनकी जानकारी के स्रोत के विषय में पूछताछ की जाएगी जिसके आधार पर 29 जनवरी 2024 को हेमंत सोरेन के आवास पर 36 लाख रुपए नकद के साथ एक बीएमडबल्यू कार जब्त की खबर प्रसारित की गई थी.
बता दें, यह मामला पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा 31 जनवरी को द्वारा एसटी/एससी पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले से संबंधित है, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों पर एसटी समुदाय का सदस्य होने के कारण उनका अपमान करने का आरोप लगाया गया था. घटनाक्रम से परिचित एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनलों के पत्रकारों को 10 दिन पहले बुलाया गया था, लेकिन चूंकि उन्होंने रांची आने से इनकार कर दिया है, इसलिए जांच अधिकारी (आईओ) अब उनसे पूछताछ करने के लिए दिल्ली जाने की योजना बना रहे हैं.
यह पूरा मामला सामने तब आया, जब झारखंड हाईकोर्ट ने 4 मार्च को एसटी/एससी पुलिस थाने में अपने अधिकारी के खिलाफ FIR को चुनौती देने वाली ED की याचिका में 'कोई दंडात्मक' कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया था. 'ईडी की ओर से अमित कुमार दास की दलील के बाद न्यायमूर्ति अनिल कुमार चौधरी की अदालत से यह आदेश आया.' ईडी के एक अधिकारी ने कहा कि ईडी ने याचिका के माध्यम से 'क्षेत्राधिकार', 'इरादा' और 'कानून आवेदन' सहित तीन आधारों पर एफआईआर को चुनौती दी है.' हेमंत सोरेन की याचिका दिल्ली में ED की कार्रवाई पर आधारित है और इस प्रकार अधिकार क्षेत्र को केंद्रीय जांच एजेंसी ने चुनौती दी है. हेमंत सोरेन पर उंगली उठाते हुए ईडी ने इसे दुर्भावनापूर्ण बताया है. प्रयोज्यता पर, ईडी ने अपनी याचिका के माध्यम से स्पष्ट किया कि एससी/एसटी अधिनियम आधिकारिक कर्तव्य करने वाले व्यक्तियों पर लागू नहीं होता है. यह बातें ईडी अधिकारी ने कहा.
वहीं हेमंत सोरेन ने अपनी शिकायत कही है कि जब वे 30 जनवरी को दिल्ली से रांची पहुंचे तो उन्हें मीडिया के जरिए दिल्ली स्थित उनके आवास पर ED की छापेमारी के विषय में जानकारी मिली. आरोप लगाते हुए हेमंत ने कहा कि ईडी की कार्रवाई के वाली जानकारी से यह पता चलता है कि उन्हें और उनके पूरे समुदाय को बदनाम और परेशान करने के उद्देश्य से नई दिल्ली में झारखंड भवन के साथ 5/01, शांति निकेतन में एक ऑपरेशन चलाया गया था क्योंकि वह आदिवासी समुदाय से हैं और अधिकारी गैर-आदिवासी हैं. 27 और 28 जनवरी 2024 को, उन्होंने नई दिल्ली का दौरा किया और शांति निकेतन में रुके, जिसे झारखंड राज्य ने आवास और कार्यालय उपयोग के लिए पट्टे पर लिया है. 29 जनवरी, 2024 को उन्हें पता चला कि ईडी अधिकारियों ने अन्य लोगों के साथ मिलकर कथित तौर पर उस परिसर में तलाशी ली थी. यह तलाशी मुझे बिना कोई जानकारी दिए की गई और इससे आम जनता के नजरों के बीच उनकी बदनामी हुई,' ये बातें, पुलिस अधिकारी ने एफआईआर के हवाले से कहा है.
FIR एससी/एसटी अधिनियम की धारा 3(1) (P) (झूठी, दुर्भावनापूर्ण या कष्टप्रद कानूनी कार्यवाही शुरू करना), (R) (जानबूझकर अपमान करना या सार्वजनिक कानून के भीतर किसी भी स्थान पर अपमानित करने की धमकी देना), (S) के तहत दर्ज की गई थी. (सार्वजनिक दृष्टि से किसी भी स्थान पर जाति के नाम से गाली देना), (U) (शत्रुता, घृणा या दुर्भावना की भावनाओं को बढ़ावा देना),' अधिकारी ने आगे कहा. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (रांची), चंदन कुमार सिन्हा ने विकास की पुष्टि की. उन्होंने कहा, "मामले के जांच अधिकारी (आईओ) द्वारा कार्रवाई की जा रही है." एसटी/एससी थाने के प्रभारी महेश मुंडा ने भी यही बात कही. मामले पर टिप्पणी के लिए आईओ दीपक कुमार रे से संपर्क नहीं हो सका.