कृपा शंकर/न्यूज़ 11 भारत
बोकारो/डेस्क: जिला मुख्यालय से करीब 19 किलोमीटर दूर स्थित मिट्टी के एक छोटे घर का चिराग बोकारो की शान बन कर उभरा. अपने माता-पिता, दीदी तथा भाई के साथ रहने वाला नीतीश आज बोकारो का सितारा बन गया. झारखंड बोर्ड परीक्षा में नीतीश ने बोकारो में टॉपर स्थान प्राप्त कर इतिहास रच दिया. साथ ही एक स्पष्ट संदेश दिया कि पढ़ने की ललक हो तो संसाधन रोड़ा नहीं बन सकता. बस लगन के साथ निरंतरता होनी चाहिए. बात हो रही है बोकारो के चास प्रखंड अंतर्गत पिंड्राजोरा थाना क्षेत्र स्थित पुण्डरू पंचायत के काशी टांड़ निवासी दिलीप कुमार महतो और शांति देवी के पुत्र की. नीतीश दो भाईयों में बड़ा है. एक बड़ी दीदी है, तृप्ति. जो इंटरमीडिएट सेकेंड इयर में है. बोर्ड परीक्षा परिणाम आते ही नीतीश के घर पर बधाई देने के लिए एक के बाद एक लोग पहुंचने लगे.
मजदूरी करते है पिता नीतीश खेती में पिता के साथ बंटाता है हाथ
पिता चापानल मिस्त्री के साथ का मजदूरी करते है. नीतीश बकरी चराने से लेकर खेती-बाड़ी में पिता के साथ हाथ बंटाता है. स्कूल और ट्यूशन भी जाता है. इतना ही नहीं काम के बाद अपनी पढ़ाई को कभी नहीं भुलता. भले ही आर्थिक तंगी की वजह से वो पंक्चुअल टाइमिंग पढ़ाई के लिए फिक्स्ड नहीं कर पाता है. लेकिन नित्य दिन नियमित पढ़ाई से कभी नाता को टूटने नहीं दिया.
डॉ बनने की ललक से मिलती रही नियमित पढ़ाई की प्रेरणा-
नीतीश ने बताया कि वो बड़ा होकर डॉक्टर बनना चाहता है. इसको लेकर वो कभी पढ़ना नहीं भुलता है. कहा कि जनता हाई स्कूल(सरकारी विद्यालय) के प्रधानाध्यापक हमेशा मनोबल बढ़ाते हैं. दीदी भी पिछले वर्ष बोर्ड परीक्षा में फर्स्ट क्लास पास हुई थी. पापा मजदूरी करते हैं. थोड़ी बहुत खेती है. वहीं, नीतीश के पिता दिलीप कुमार महतो ने बताया कि बेटी बोर्ड पास की, इंटर में पढ़ाई शुरू हुई. खर्च बढ़ा. तब नियमित मजदूरी शुरू की. चापानल बनाने वाले मिस्त्री के साथ हेल्पर का काम करता हूं. लेकिन काम हर दिन मिलेगा ही ये जरुरी नहीं. घर में कुछ बकरी आदि पशु पक्षी रखा है. इन समय-समय पर इन्हें बेचकर कुछ रकम मिल जाता है. कहा कि बच्चे पढ़ना चाहते हैं अपने दमखम से जितना संभव हो पढ़ाने का प्रयास करुंगा. आवश्यकता पड़ी तो जमीन बेच दूंगा. जब बच्चे सफल हो जाएंगे तब मेरा जीवन भी सफल हो जाएगा.