दो स्थाई शिक्षकों के भरोसे है हजारीबाग का इंदिरा गांधी आवासीय विद्यालय, 29 साल से नियुक्ति नहीं
प्रशांत शर्मा/न्यूज11 भारत
हजारीबाग/डेस्कः मैट्रिक की परीक्षा में प्रदेश भर में टाप टेन छात्राएं देने वाला इंदिरा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय हजारीबाग सरकारी उपेक्षा का शिकार है. इसी स्कूल की छात्राओं ने मैट्रिक परीक्षा 2024 में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर विद्यालय और जिले का नाम रोशन किया है. राज्य के टॉप टेन में शामिल 44 परीक्षार्थियों में से 19 इसी विद्यालय की छात्राएं हैं. स्टेट के टॉप थ्री में शामिल सभी चार छात्राएं इसी स्कूल की हैं.
सरकार की ओर से पूरी तरह उपेक्षित इस विद्यालय में स्थापना काल के बाद से शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है. 1995 में नेतरहाट विद्यालय की तर्ज पर तत्कालीन बिहार सरकार द्वारा स्थापित इस स्कूल में वर्तमान में सिर्फ दो स्थाई शिक्षिका रेणु ठाकुर और कामिनी कार्यरत हैं. शारीरिक शिक्षिका किरण सिंह को भी जोड़ दिया जाए तो वर्तमान में तीन स्थाई शिक्षिका ही कार्यरत हैं. इस स्कूल में वर्ग छह से दसवीं कक्षा तक पढ़ाई होती थी. अब 11वीं व 12वीं में विज्ञान संकाय को जोड़ा गया है. इस लिहाज से स्कूल में - टीजीटी और पीजीटी दोनों की जरूरत है.
यूरोपीय प्रिजनर के लिए बने जेल को बिहार सरकार ने बनाया था स्कूल
तत्कालीन बिहार सरकार ने केंद्रीय कारा, हजारीबाग के अधीन यूरोपीय प्रिजनर के लिए बने खाली पड़े जेल को स्कूल में तब्दील किया गया था. कैदियों/बंदियों के रहने की जगह को छात्राओं का हॉस्टल और क्लास रूम बना दिया. शुरुआती दिनों में स्कूल बाहर से भी जेल की तरह ही दिखता था. बाद में विभाग ने जेल भवन के सामने नया भवन बनकर स्कूल को शैक्षणिक संस्थान का लुक दिया.
2016-17 से शुरू हुआ शिक्षकों का प्रतिनियोजन
जब स्कूल की स्थाई शिक्षिकाएं रिटायर्ड होने लगी। तब 2016-17 से जिले के अन्य सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों को यहां प्रतिनियोजन किया जाने लगा. 2012-13 से स्कूल में स्थाई प्राचार्या की नियुक्ति नही की गई. संस्थापक प्राचार्य अनंदा तिवारी के अवकाश ग्रहण करने के बाद सीनियर शिक्षिकाओं को प्रभार दिया जाने लगा. वर्तमान में क्षेत्रीय शिक्षा संयुक्त निदेशक सुमन लता टोपनो बलिहार को प्राचार्य का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.