न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः एक तरफ जहां पूरी दुनिया डिजिटल की ओर आगे भाग रही है तो वहीं दूसरी ओर हमारा राज्य झारखंड डिजिटल की बजाय मैनुअल की तरफ बढ़ने लगा है. दरअसल, झारखंड में पुलिस भर्ती की प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव किया गया है. आपको बता दें, पिछले दिनों राज्य में पुलिस भर्ती की परीक्षा में धांधली को रोकने और उसमें पारदर्शिता लाने लिए कई तकनीक प्रयोगों का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन अब इसमें बदलाव के साथ संशोधन कर दिया गया है. इतना ही नहीं झारखंड पुलिस सेवा के लिए भर्ती पद्धति 2014 के नियम-7 (III) से (VI) में बदलाव किए गए है जो कि अब से झारखंड राज्य पुलिस नियुक्ति (संशोधन) नियमावली 2024 कहा जाएगा. बता दें, झारखंड पुलिस भर्ती में इस बदलाव के तकनीक का इस्तेमाल किए बगैर मैनुअल तरीके से पुलिस की बहाली की जाएगी. इससे संबंधित गृह विभाग की तरफ से अधिसूचना भी जारी कर दी गई है.
आपको बता दें, झारखंड पुलिस बहाली में पारदर्शिता लाने और धांधली रोकने के लिए टेक्नीकल तकनीकों को अपनाया जाता था. जिससे भर्ती में किसी भी तरह की गड़बड़ी और इसके साथ ही सभी अभ्यर्थी की गतिविधियों पर नजर रखी जाती थी. ताकि पुलिस भर्ती की प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जा सकें. मगर अब बहाली में बदलाव की अधिसूचना जारी होने के बाद तरह-तरह की चर्चाएं होने लगी है.
झारखंड पुलिस भर्ती के नियम में किए गए ये बदलाव
आपको बता दें, वर्तमान में पुलिस बहाली में दौड़ के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेन्टीफिकेशन चीप टाइमिंग टेक्नॉलोजी का इस्तेमाल होता था लेकिन अब संशोधन किया गया है जिसके मुताबिक, अब रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेन्टीफिकेशन चीप टाइमिंग टेक्नॉलोजी की उपलब्धता और आपूर्ति पर निर्भर करेगा, वहीं पर्याप्त उपलब्धता नहीं होने और आपूर्ति में देरी होने पर दौड़ की प्रक्रिया को पूरी कर ली जाएगी.
ऊंचाई और सीना की मापी के लिए स्टेन्डर्ड डिजीटल हाइट वेट डिवाइस विथ डिस्प्ले मॉनिटर्स का इस्तेमाल किया जाता था इसमें भी संशोधन किया गया है इसके अनुसार अब, स्टेंडर्ड डिजिटल हाइट वेट विथ डिस्प्ले मॉनिटर्स की उपलब्धता और आपूर्त पर निर्भर करेगा. और आपूर्ति में देरी होने पर भी इन डिवाइस बगैर ऊंचाई और सीना की मापी ली जाएगी.
बहाली के लिए आवेदन की पहचान के लिए बायोमेट्रिक डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है इसमें भी बदलाव किया गया है इसके अनुसार, इसकी उपलब्धता और आपूर्ति पर निर्भर करेगा, पर्याप्त उपलब्धता और आपूर्ति में देर होने पर आवेदक की पहचान उसके निवेदन में दिए गए पहचान चिन्ह से मिलान कर कर दी जाएगी.
सीसीटीवी टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर सभी संचालन का विडियोग्राफी किया जाता है इसमें बदलाव के बाद पर्याप्त उपलब्धता और आपूर्ति पर निर्भर करेगा. इसमें देरी होने पर इन डिवाइस के बिना भी सभी संचालन प्रक्रिया पूरी की जाएगी.
क्यों टेक्नोलॉजी की उपलब्धता पूरा नहीं कर सकता विभाग
विभाग की ओर से झारखंड पुलिस भर्ती में किसी भी अनियमितता और आरोप से बचने के लिए टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाता था देश के अन्य राज्य के सरकारी विभागों में किसी भी प्रकार की भर्ती में डिजिटल डिवाइस पर जोर दिया जाता है लेकिन उसके ठीक दूसरी ओर झारखंड राज्य डिजिटल से मैनुअल की तरफ आगे बढ़ रहा है इससे अब सवाल उठने लगा है कि टेक्नोलॉजी की उपलब्धता गृह विभाग क्यों पूरा नहीं कर सकता है.