प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क:-वैशाख माह के आते ही गर्मी की पारा 40 डिग्री सेल्सियस पार हो गयी. सुबह 8 बजते ही लोग अपने अपने घरों में छुपने लगते हैं. घर से बाहर निकलना खतरा से खाली नही दिखता. जबकि जेष्ठ माह को आना बाकी है. ऐसी स्थिति में किसानों के सामने विकट समस्या उत्पन्न हो गयी है. इस भीषण गर्मी पडने के कारण, तालाब, नदी, कुआं सूख गए. खेतों में लगे फसल में पर्याप्त पानी नहीं मिलने के कारण मुरझाने लगे, खेतों में दरार फटने लगा हैं. फसल के साथ साथ किसानों का भी चेहरा मुरझाने लगा है. तेतरिया नदी, फुरुका नदी, देवकुली नदी से दर्जनों गांव के किसान जेठुआ फसल झिंगीं, परोर, खीरा, भिंडी, टमाटर और मुख्य रूप से धनिया की खेती कर अपना घर परिवार का भरण पोषण करते हैं. नदी के दोनों छोर पर सैकड़ों एकड़ भूमि पर तरह-तरह का फसल लगा हुआ है. नदी में पानी सूख जाने के कारण फसल मुरझाने लगा है. किसान तपती धूप में फसल उगाने काम किया है फल फल भी लगने लगा है परन्तु फसल से कमाई की उम्मीद नहीं है. इचाक प्रखंड में करीब 100 से अधिक तालाब है .लेकिन 50 से अधिक तालाब सूख चुके हैं. कई ऐसे तालाब है जो पिछले कई दशकों से गहरीकरण नहीं हुआ इस कारण तालाब खेत में तब्दील हो चुका है. पानी की संग्रह कम होने के कारण गर्मी पडते ही तालाब सूखने लगते हैं. पिछले डेढ़ दशक से पर्याप्त मात्रा में वर्षा नहीं होने के कारण कुआं का भी जल स्तर काफी नीचे चला गया है. मनरेगा से लगभग गांव में कुआं बनाया गया है पर प्रकृति के इस भयानक गर्मी के सामने सब अधिकांश कुंआ भी सूख चुके हैं. किसान अपनी फसलों की सिंचाई के लिए नदियों में गड्डा खोदकर उससे काम चलाते हैं जिसमे किसानों को लागत बढ़ जाती है.
दूसरी ओर जब बरसात का मौसम आता है, नदी भर जाता है तो यही गड्डा पशुओं और आदमियों के लिए भी जानलेवा भी साबित हो जाता है. कई बार ऐसी घटना हुई है जिसका भरपाई भी किसानों को करना पड़ता है.
मनरेगा से बने कूपों में जल ठहराव नही : किसान
दरिया गांव के किसान बिरबल प्रसाद मेहता, फुफन्दी गांव के जीवलाल प्रसाद मेहता, बरककला के कामेश्वर मेहता, बरका खुर्द के हिरामन मेहता, विनोद मेहता, ने बताया कि मनरेगा से कूप बनता है पर पानी का ठहराव नही रहता है. सरकार को चाहिए कि नदियों में जगह जगह छोटे छोटे बांध बनाये ताकि सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो सके.
जल संरक्षण किए सामुदायिक जागरूकता की आवश्यकता : विनोद
प्रखण्ड कृषि पदाधिकारी विनोद कुमार रवि ने कहा कि जल संरक्षण के लिए सामुदायिक जागरूकता की आवश्यकता है. पानी को व्यर्थ बर्बाद नहीं करना चाहिए. जो डोभा और टीसीबी बनता है उसका सदुपयोग हो उससे पानी का ठहराव होता है. इस तरह के कार्यों को बढ़ावा देने की जरूरत है.