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झारखंड » हजारीबाग


"जेपी" के सारथी की भूमिका में दिखेंगे "यशवंत"

20 के बाद ऋषभ वाटिका में सक्रिय होगा वार रूम, भाजपा को उसके ही गढ़ में घेरने की तैयारी

प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत 

हजारीबाग/डेस्क:-कांग्रेस ने भाजपा प्रत्याशी मनीष जायसवाल के मुकाबले मांडू विधायक जेपी पटेल को मैदान में क्या उतारा, हजारीबाग एकबार फिर चर्चा में है. भाजपा के टिकट पर पिछला विधानसभा चुनाव जीतने वाले जेपी पटेल के कांग्रेस में शामिल होने के निर्णय ने हर किसी को चौंका दिया हैं. वहीं वे अपने जीत को लेकर बड़े बड़े दावे कर रहे हैं. दरअसल जेपी को पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा का साथ मिला है, जो यहां से तीन बार सांसद का चुनाव जीत चुके हैं और केन्द्र में वित्त और विदेश मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय भी संभाल चुके हैं. यही वजह है कि जेपी इस बार यशवंत सिन्हा के सहारे ही इस चुनावी नैया को पार करना चाहते हैं. सूत्रों के मुताबिक खुद यशवंत सिन्हा ने न सिर्फ अपनी तरफ से हर मुमकिन मदद का भरोसा दिया है.


 

बताया जा रहा है की रविवार को यशवंत सिन्हा दिल्ली रवाना हो गए है. वे बीस अप्रैल को हजारीबाग लौटेंगे. जेपी के करीबियों ने बताया की  उनके लौटते ही चुनाव प्रचार ना केवल तेज होगा बल्कि ऋषभ वाटिका में हाई टेक बार रूम पूरी तरीके से सक्रिय हो जाएगा. यहां से जेपी को जिताने की रणनीति पर काम होगा और सोशल मीडिया को भी और आक्रामक रूप दिया जाएगा. बताया जा रहा है कि कांग्रेस और सहयोगी अन्य दलों के कई बड़े नेताओं का जमावड़ा भी यहां होगा. जिनमें मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका गांधी राहुल गांधी समेत तमाम बड़े नामों के आने की चर्चा है 

 

'जयंत' चुनाव मैदान में होते तो क्या 'यशवंत' विरोध में इतना मुखर होते?' 

 

इधर, भाजपा और आम जनमानस के बीच भी एक चर्चा जोरों पर है की भारतीय जनता पार्टी ने हजारीबाग संसदीय सीट से वर्तमान सांसद जयंत सिन्हा की जगह हजारीबाग सदर विधायक मनीष जायसवाल को  लोकसभा का प्रत्याशी बनाया है. जबकि जयंत सिन्हा हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से दो बार सांसद रह चुके हैं.  जयंत सिन्हा ने दोनों बार अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस पार्टी  के उम्मीदवारों को भारी मतों से पराजित किया था. 2014 में यशवंत सिंहा की जगह जयंत सिन्हा को हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया था. यशवंत सिन्हा ने अपने पुत्र जयंत सिन्हा को जीताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी. हजारीबाग संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने यशवंत सिन्हा के पुत्र को उसके उत्तराधिकारी के रूप में सहर्ष स्वीकार किया था. भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने भी यशवंत सिन्हा के उत्तराधिकारी के रूप में जयंत  सिन्हा सहर्ष स्वीकार किया था. 

 

मोदी सरकार ने 2014 में जयंत सिंन्हा को  केंद्र में वित्त राज्य मंत्री के रूप में स्थान दिया था. राजनीतिक विश्लेषकों का कथन है कि  यशवंत सिन्हा के पुत्र होने के कारण ही मोदी सरकार में जयंत सिन्हा को केंद्र में वित्त राज्य मंत्री  बनाकर यह सम्मान दिया गया था. बाद में वित्त मंत्रालय से हटाकर जयंत सिन्हा को नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री भी बनाया गया था. जयंत सिन्हा बतौर एक सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी निष्ठा और लगन से करते रहे थे. इस दौरान मोदी सरकार ने जयंत सिन्हा को जो भी जवाबदेही दी, उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया. जयंत  सिन्हा को जब भी अवसर मिला, हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र का भ्रमण करते रहें. अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों से भी यदा कदा मिलते रहें. इस क्षेत्र की समस्याओं को भी लोकसभा के पटल पर  बराबर उठाते भी रहें .समस्याओं के निराकरण की दिशा में हर संभव प्रयास भी करते रहें.

 

दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के एक बड़े नेता के रूप में सुविख्यात  यशवंत सिन्हा भारतीय जनता पार्टी से अपनी एक अलग राह चुनने की दिशा में कदम आगे बढ़ाते रहें. जयंत सिन्हा भारतीय जनता पार्टी के एक कर्मठ नेता के रूप में अपनी पहचान बनाने की ओर जैसे-जैसे कदम आगे बढ़ते रहे थे. उनके पिता यशवंत सिन्हा वैसे-वैसे भारतीय जनता पार्टी से अपनी दूरी बनते चले जा रहे थे. इस सच से इनकार नहीं किया जा सकता है कि  आज यशवंत सिन्हा के पास जो भी पहचान और लोकप्रियता देश-विदेश भर में है, उसके पीछे जनता पार्टी, जनता दल और भारतीय जनता पार्टी जैसी राजनीतिक पार्टियों ही है.

 

यशवंत सिन्हा की राजनीति की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की जनता पार्टी के एक सदस्य के रूप में हुई थी. यशवंत सिन्हा एक  आईएएस  अधिकारी के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की थी.   अपनी  विलक्षण प्रतिभा के कारण यशवंत सिन्हा  राज्य और केंद्र सरकार के उच्च पदस्थ पदाधिकारी की सूची में शामिल हो गए थे. यशवंत सिन्हा ने 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया था. उनकी राष्ट्रीय पहचान राजनीति ज्वाइन करने के बाद ही बन पाई थी. 

 

भारतीय जनता पार्टी ने 1996 में यशवंत सिन्हा को राष्ट्रीय प्रवक्ता भी बनाया था. इसके बाद यशवंत सिन्हा कभी पीछे मुड़कर देखे नहीं. अटल बिहारी वाजपेई के प्रधानमंत्रित्व काल में यशवंत सिन्हा को पहले केंद्रीय वित्त मंत्री और बाद में विदेश मंत्री का दायित्व सौंपा गया था.

यशवंत सिन्हा की राजनीतिक कर्मभूमि के रूप में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र को कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता है. 1998, 1999 और 2009 के हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से तीन - तीन बार भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर विजय घोषित हुए थे. वहीं 2004 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के भुनेश्वर मेहता से हारे थे.

 

यशवंत सिन्हा बहुत कम ही समय में भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता अटल बिहारी वाजपेई, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, जसवंत सिंह जैसे नेताओं की श्रेणी में शामिल हो गए थे. यशवंत सिन्हा को भारतीय जनता पार्टी के अटल बिहारी वाजपेई और लालकृष्ण आडवाणी के बाद देश के प्रधानमंत्री के रूप में देखा जाने लगा था.

 

भारतीय जनता पार्टी ने 2014 का चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ने का लिया था. साथ ही यह भी निर्णय लिया  था कि भारतीय जनता पार्टी के 70 प्लस के जो भी नेता हैं , संसदीय चुनाव से दूर रहेंगे और वे सभी पार्टी के एक अभिभावक के रूप में अपना योगदान देंगें. इसका इस निर्णय का बहुत लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिला. देश की जनता ने प्रचंड बहुमत से एनडीए को देश की कमान सौंप दिया था. नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने. 2014 के लोकसभा चुनाव में हजारीबाग संसदीय सीट से यशवंत सिन्हा की जगह उनके पुत्र जयंत सिन्हा को भारतीय जनता पार्टी ने टिकट दिया. हजारीबाग संसदीय क्षेत्र के लोग यशवंत सिन्हा को ही अपना नेता मानते रहे हैं. इस संसदीय क्षेत्र के लोग तब शायद जयंत सिन्हा सिंह को जानते तक नहीं थे. इस क्षेत्र के मतदाताओं ने जयंत सिन्हा को एक बार नहीं दो-दो बार भारी मतों से अपना सांसद चुना.

इस सत्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि आज  यशवंत सिन्हा के पास जो भी लोकप्रियता है, उसमें कहीं न कहीं भारतीय जनता पार्टी का  योगदान है. भारतीय जनता पार्टी ने यशवंत सिन्हा के पुत्र जयंत सिन्हा को दो-दो बार हजारीबाग संसदीय सीट से टिकट दिया.  वे दोनों बार विजयी रहें. केंद्र ने उन्हें दो-दो बार केन्द्रीय  उप मंत्री भी बनाया.

अब सवाल यह उठता है कि यशवंत सिन्हा को जब भारतीय जनता पार्टी ने इतना सम्मान दिया, तब वे भारतीय जनता पार्टी से इतना खफा क्यों है ? हजारीबाग के जिस स्थान पर यशवंत सिन्हा ने ऋषभ वाटिका नाम से अपनी कुटिया बनाई है. उसी ऋषभ वाटिका में यशवंत सिन्हा के साथ उनके पुत्र जयंत सिन्हा निवास करते हैं. इस ऋषभ वाटिका में भारतीय जनता पार्टी के सांसद जयंत सिन्हा के रहते हुए यशवंत सिन्हा  एक बार नहीं अनगिनत बार भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ  आग उगल चुके हैं. यशवंत सिन्हा के  भारतीय जनता पार्टी विरोधी बयानों के बावजूद भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय नेतृत्व ने जयंत सिन्हा को 2019 में दोबारा हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से अपना उम्मीदवार घोषित किया था. भारतीय जनता पार्टी में जयंत सिन्हा को इतना सम्मान मिलने के बावजूद उन्होंने 21 अप्रैल 2018 को भारतीय जनता पार्टी से पूरी तरह नाता तोड़ दिया था.  अब यशवंत सिन्हा खुलकर भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ मुखर हो चुके थे. एक ही ऋषभ वाटिका से दो किस्म के स्वर निकल रहे थे. एक भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में तो दूसरा भारतीय जनता पार्टी के विरोध में.  यह कर यशवंत सिन्हा क्या साबित करना चाहते हैं ? वे क्या राजनीतिक संदेश देना चाहते हैं ? अब विचारणीय यह है कि पिता - पुत्र के दो खेलों में बंट  जाने से कार्यकर्ताओं को कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.  इसे समझा जा सकता है. यशवंत सिन्हा ने 2019 के चुनाव में जब जयंत सिन्हा हजारीबाग से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे . यशवंत सिन्हा इसी ऋषभ वाटिका में बैठकर अपने पुत्र के पक्ष में दिशा निर्देश कर रहे थे . जैसा कि राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि यशवंत सिन्हा के भारतीय जनता पार्टी के विरोधी बयानों के कारण ही जयंत सिन्हा का टिकट कटा. अब इस क्षेत्र के लोग पूछ रहे हैं कि अगर 2024 के चुनाव में जयंत सिन्हा भारतीय जनता पार्टी के एक उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ते तो क्या विरोध में यशवंत सिन्हा इसी तरह मुखर होते ? यशवंत सिन्हा भारतीय जनता पार्टी के एक बड़े नेता के रूप में जाने जाते थे. आज वे भारतीय जनता पार्टी को दो फाड़ में कर देने की बात कहते हैं. एक समय उनका यह ऋषभ वाटिका भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं का मुख्य केंद्र हुआ करता था . आज उसी ऋषभ वाटिका से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को हारने का संकल्प लिया  जा रहा है. जबकि जयंत सिन्हा आज भी भी हजारीबाग संसदीय क्षेत्र के सांसद हैं. यह और बात है की इस चुनाव में उनका टिकट काटकर सदर से भाजपा विधायक मनीष जैसवाल को पार्टी ने लोकसभा का टिकट दे दिया. देखना दिलचस्प होगा कि जेपी के सारथी बनकर यशवंत जेपी को लोकसभा भेज पाते है या नही
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शहर के अपार्टमेंटों में रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य कर दिया गया है. जिन जिन अपार्टमेंट में यह सिस्टम नही होगा उन अपार्टमेंट मालिको के खिलाफ सख्त कारवाई की जाएगी. इसको ले नगर आयुक्त सह प्रशासक शैलेन्द्र लाल की अध्यक्षता में नगर निगम हजारीबाग के राजस्व शाखा की बैठक आहूत की गई .

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हजारीबाग लोक सभा संसदीय क्षेत्र का मतदान 20 मई को होना है। बस ! कुछ ही दिन शेष रह गये हैं . इस लोकसभा क्षेत्र से सत्रह उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं . सभी उम्मीदवार अपनी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं. वहीं सभी उम्मीदवार चुनाव प्रचार में अपने पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान क्रियाशील हैं.