रांची : पहली बार ओजोन डे साल 1995 में मनाया गया था. हर साल 16 सितंबर को वर्ल्ड ओजोन डे मनाया जाता है. आज भी ओजोन परत के संरक्षण और सुरक्षा को लेकर वल्ड ओजोन डे मनाया जा रहा है. कई बीमारियों से बचाने वाली ओजोन परत के लिए कोविड 19 में जारी लॉकडाउन बेहतर फायदे वाला रहा.
देश में लॉकडाउन का जो असर हुआ, लोग परेशान हुए, वहीं दूसरी तरफ ओजोन परत को उसका फायदा मिला. ओजोन परत पूरे पृथ्वी को एक छाते के रूप में ढक कर रखता है. सूर्य की किरणों से आने वाले पराबैगनी किरणों को पृथ्वी पर सीधे आने से रोकता है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक, आठ घंटे के औसत में ओजोन प्रदूषक की मात्रा 100 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए. वाहनों और फैक्ट्रियों से निकलने वाली कार्बन-मोनो-ऑक्साइड व दूसरी गैसों की रासायनिक क्रिया ओजोन प्रदूषक कणों की मात्रा को बढ़ाती हैं.
सीओटू का स्तर हुआ कम
लॉकडाउन लगने के बाद से प्रदूषण में 35 फीसदी की कमी और नाइट्रोजन ऑक्साइड में 60 फीसदी की गिरावट आई. इसी दौरान ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचाने वाले कार्बन का उत्सर्जन भी 1.5 से 2 फीसदी तक घटा और कार्बन डाई ऑक्साइड,सीओअू का स्तर भी कम हुआ.
जाने क्या है ओजोन परत
ओजोन परत पृथ्वी को सूर्य की हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाने का काम करती है. ओजोन परत के बिना जीवन संकट में पड़ सकता है, क्योंकि अल्ट्रावायलेट किरणें अगर सीधे धरती पर पहुंच जाए, तो ये मनुष्य, पेड़-पौधों और जानवरों के लिए भी बेहद खतरनाक हो सकती हैं. ओजोन परत, ओजोन अणुओं की एक परत है जो 10 से 50 किलोमीटर के बीच के वायुमंडल में पाई जाती है. ऐसे में ओजोन परत का संरक्षण बेहद महत्वपूर्ण है.
ओजोन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां
-ओजोन परत तेज बदबूदार नीले रंग की गैस है.
-साल 1840 में ओजोन की खोज क्रिस्चियन फ्रेड्रिच स्कोनबे ने की थी. उन्होंने ग्रीक नाम पर ओजोन नाम दिया.
-ओजोन परत धरती से 12-20 मील ऊपर है.
-साल 1985 में अंटार्कटिक के ऊपर ओजोन परत में छेद के बारे में पता लगाया गया था. हालांकि, सीएफसी केमिकल पर बैन लगाने से इसे ठीक कर लिया गया था.
-अंटार्कटिका में खोजा गया छेद 29 मिलियन वर्ग किलोमीटर से अधिक था, जो रूस और कनाडा को मिलाकर बने देश से भी बड़ा है.