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पूर्वी सिंहभूम जिले के अति पिछड़ा क्षेत्र गुड़ाबांधा प्रखंड को भले शौच मुक्त प्रखंड घोषित कर दिया गया हो, लेकिन प्रखंड के भालकी पंचायत अंतर्गत लेपो कोचा गांव केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के अभियान से मेल नहीं खाता है. शौचालय निर्माण में घोटाले की वजह से आवंटित 16 शौचालय आज भी अधूरे हैं व यहां रह रहे 40 संथाल परिवार जंगल किनारे खुले में शौच करने को विवश है. ग्रामीण भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि घोटाले की वजह से सारे शौचालय अधूरे पड़े हुए हैं. शौचालय में न तो दरवाजे लगे हैं और न ही मिट्टी की खुदाई की गई. बिना गड्ढा किए दीवार बना पैसे की निकासी कर योजना को पूर्ण बता दिया. इस बाबत गांव की जलसहिया मैंचो बोदरा सवाल उठाती है कि उसके हस्ताक्षर से एक लाख की निकासी स्थानीय मुखिया कुनू राम मांझी द्वारा कर ली गई व योजना को पूर्ण बता दिया गया.
ऐसे में शौचालय निर्माण कैसे पूरा होगा. अधूरे शौचालय की वजह से आज भी महिलओं से लेकर पुरुषो तक सभी को जंगल में शौच करने जाना पड़ता है. यह हालात बीते तीन सालों से है, जिसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है. लेपों कोचा गांव बीहड़ जंगलों के बीच बसा हुआ है. हाथी प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से कोई भी जन प्रतिनिधि गांव में जाने से परहेज करते हैं. जिसकी वजह से योजनाओं लूट मची हुई है. ग्रामीणों ने अधूरे पड़े शौचालय को पूरा करने की मांग सरकार से उठाई है ताकि खुले में शौच से मुक्ति मिल सके.