न्यूज 11 भारत
रांची: काली कमाई के काले राज अब एक एक कर साफ होते जा रहे है. दागी इंजीनियर वीरेंद्र राम को तो सरकार ने सस्पेंड कर दिया है परंतु उनके कारनामों ने न सिर्फ ईडी बल्कि जनता को भी हतप्रभ कर दिया है. भ्रष्टाचारी इंजीनियर वीरेंद्र राम ने अपनी काली कमाई को खपाने के लिए एक से बढ़के एक उपाय लगा रखे थे.
इस अवैध कमाई को जायज दिखाने के लिए वीरेंद्र ने कई फर्जी कंपनियां खोल रखी थी. ईडी की तफ्तीश में पता चला है कि इन फर्जी कंपनियों के खातों में 109.18 करोड़ रुपये जमा किये गये साथ ही इसमें से 4.29 करोड़ रुपये बीरेंद्र के पिता गेंदा राम के खाते में ट्रांसफर किये गये. ये कंपनियां इंजीनियर बीरेंद्र राम की काली कमाई को जायज करार देने के लिए खोली गयी थी ये सभी फर्जी है.
बता दें इस संस्था में दिए गए परमानेंट अकाउंट नंबर (PAN)और आधार कार्ड सहित अन्य दस्तावेज भी फर्जी नाम से बने हैं. ये सभी फर्जी दस्तावेज मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम के सीए मुकेश मित्तल के निर्देश पर तैयार कराये गये. वहीं इस फजीवाड़े के खेल में ताराचंद नामक व्यक्ति ने अपनी तस्वीर लगा कर सचिन गुप्ता के फर्जी नाम से सारे दस्तावेज बनवाये.
ये सारे खुलासे इडी द्वारा जारी जांच के दौरान हुआ है. साथ ही इस जांच के दौरान इडी ने पाया कि वीरेंद्र राम के पिता गेंदा राम के खाते में राकेश कुमार केडिया, मनीष और नेहा श्रेष्ठ के खातों से पैसा ट्रांसफर किया गया है. वहीं इन तीनों के खातों की जांच में पाया गया कि इनके बैंक एकाउंट में तीन कंपनियों के खातों से पैसे ट्रांसफर किये गये थे इनमें खातों में खाटू श्याम ट्रेडर्स, अनिल कुमार गोविंद राम ट्रेडर्स और ओम ट्रेडर्स शामिल हैं. बताते चलें कि इन कंपनियों के खाते में वित्तीय वर्ष 2020-21, 2021-22 और 2022-23 की अवधि में कुल 109.18 करोड़ रुपये जमा हुए हैं.
वहीं ईडी ने अपनी जांच में पाया कि इन सभी कंपनियों को सचिन गुप्ता नामक व्यक्ति ने खोला है परंतु तीनों कंपनियों के खोलने के लिए अलग अलग पैन नंबर का इस्तेमाल किया गया है. वहीं तीनों पैन पर एक ही व्यक्ति की तस्वीर लगी है. ईडी ने इस सचिन गुप्ता की काफ़ी तलाश की लेकिन अथक प्रयासों के बाद भी सचिन गुप्ता (पिता अशरफ़ी लाल गुप्ता) का कहीं कोई पता नहीं चला.
अपनी जांच को आगे बढ़ाते हुए इडी ने इन कंपनियों के नाम पर खोले गये खातों की जानकारी और माबाईल नंबर की जानकारी संबंधित बैंक से मांगी. बैंक द्वारा इडी को यह जानकारी दी गयी कि इन फर्जी कंपनियों से जुड़े बैंक खातों को मोबाइल नंबर 9891069772 से लिंक किया गया है. आगे मोबाइल नंबर की जांच के दौरान यह पाया गया कि इसे ताराचंद (पिता कल्याण प्रसाद) के नाम पर जारी किया गया है.
इसके बाद इडी ने ताराचंद को बुला कर पूछताछ की जिसमें ताराचंद ने यह स्वीकार किया कि सचिन गुप्ता के नाम पर बने पैन सहित अन्य दस्तावेज स्वयं उसके ही है. साथ ही यह भी बताया कि सीए मुकेश मित्तल के निर्देश पर फ़र्ज़ी दस्तावेज तैयार किये गये और कंपनी बना कर इसी दस्तावेज के सहारे बैंक खाते खोले गये.