राजधानी के हिनू में है मकान
न्यूज11 भारत
रांची: झारखंड के सबसे चर्चित जिला खनन पदाधिकारी विभूति कुमार से प्रवर्तन निदेशालय की टीम पूछताछ कर रही है. सोमवार की सुबह से ही वे ईडी के क्षेत्रीय कार्यालय में हैं. उन्हें समन कर बुलाया गया है. आइएएस पूजा सिंघल के सामने डीएमओ विभूति कुमार को बैठा कर पूछताछ की जा रही है. जिला खनन पदाधिकारी विभूति कुमार पहले खनन निरीक्षक (माइंस इंस्पेक्टर) के पद पर थे. अलग झारखंड राज्य बनने के बाद ये खनन निरीक्षक थे और इनकी पोस्टिंग रांची में थी. उस समय राज्य के खान निदेशक आइडी पासवान थे. जब तक आइडी पासवान खान निरीक्षक रहे, तब तक इनकी चलती नहीं थी.
आइडी पासवान के हटते ही हो गये थे सक्रिय
आइडी पासवान के हटने के बाद उप निदेशक खान बीबी सिंह को खान निदेशक बनाया गया. इनके कार्यकाल में शंकर सिन्हा, राघव नंदन प्रसाद की काफी चर्चा में रही थी. क्योंकि उस समय झारखंड में लौह अयस्क खदान आवंटित कराने के लिए झारखंड में आर्सेलर मित्तल, जिंदल स्टील एंड पावर, जिंदल साउथ वेस्ट, अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर, एस्सार स्टील, मुकूंद स्टील, रूंगटा स्टील, एमएसपीएल लिमिटेड, भूषण स्टील समेत देश की नामी गिरामी कंपनियां यहां पर उद्योग स्थापित करने के लिए आगे आ रही थीं. इन लोगों की तरफ से चाईबासा के विभिन्न खनन क्षेत्रों में प्रोस्पेक्टिंग लाइसेंस से लेकर माइनिंग लीज देने का आवेदन दिया गया. जानकारी के अनुसार उस समय विभूति कुमार डीएमओ चाईबासा राघव नंदन प्रसाद के काफी करीबी थी. ऐसे समय में विभूति कुमार खनन निरीक्षक से सहायक खनन निरीक्षक, जिला खनन पदाधिकारी तक बने. इनकी पोस्टिंग हजारीबाग, गिरीडीह और साहेबगंज में विभूति कुमार की पोस्टिंग की गयी.
शुरू से ही इनका अलग जलवा था. मृदुभाषी होने के साथ-साथ इनके द्वारा सभी को तवज्जो दिया जाना इनकी खासियत थी. इसलिए ये सभी खान सचिवों के करीबी रहे. जहां भी रहे, वहां से इनकी नजदीकी मुख्यालय तक रही. इसकी एक वजह यह थी कि ये राजधानी रांची के हिनू इलाके में रहते थे. जहां से नेपाल हाउस सचिवालय की दूसीर दो किलोमीटर और प्रोजेक्ट भवन मंत्रालय की दूरी छह किलोमीटर तक थी. सेंट्रल रांची में रहने की वजह से ये सत्ता के गलियारों तक आसानी से पहुंचते थे.
साहेबगंज में हैं इनके जलवे
साहेबगंज जिले में भी विभूति कुमार के जलवे हैं. ये मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि से लेकर झामुमो के तमाम बड़े नेताओं के साथ मित्रवत रहते हैं. इल्लीगल माइनिंग के बारे में हमेशा कुछ कहने से बचते हैं और कहते हैं कि जिला स्तरीय टास्क फोर्स ही अवैध खनन रोकने के लिए जवाबदेह रहती है और इल्लीगल माइनिंग करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई करती है. इसका कारण भी है. साहेबगंज जिले में सरकार का सबसे अच्छा स्टोन माइंस चंदुला प्रोजेक्ट है. 186 वर्ग किलोमीटर में फैले इस माइंस की लागत 55 करोड़ के आसपास है. यहां 39 कर्मी हैं, जिन्हें सरकार वर्षों से बैठा कर भुगतान कर रही है. यह खदान अभी बंद है. इसके अलावा जिले में चार सौ से अधिक स्टोन माइंस हैं. जिनमें से 125 कार्यरत हैं और अन्य बंद पड़े हैं. बंद पड़े खदानों से ही पत्थरों का अवैध कारोबार हो रहा है.