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रांची : आज सावन का दूसरा सोमवार है. सावन का महिना भगवान भोलेनाथ को अति प्रिय महिना है .इस महीने में बाबा के विशेष पूजा का प्रावधान है . आज दूसरे सोमवार को कई शुभ योग बन रहें है जिसमें भगवान महादेव की विशेष कृपा भक्तों को मिलेगी . इस दिन सर्वार्थ सिद्धि व अमृत सिद्धि के साथ धुव्र योग भी बन रहा है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, सर्वार्थ व अमृत सिद्धि योग में किए गए कार्यों का फल शीघ्र प्राप्त होता है.
आज है सावन का दूसरा सोमवार
सावन के दूसरे सोमवार पर सर्वार्थ सिद्धि योग बना है जो सूर्योदय से मध्यरात्रि तक रहेगा. यानी इस अवधि में जब कोई शुभ कार्य किया जायेगा तो उसका शुभ फल प्राप्त होगा. इस दिन सोमवारी व्रत के साथ ही प्रदोष व्रत भी है. प्रदोष व्रत पड़ने से दूसरी सोमवारी व्रत का भी काफी महत्व बढ़ जाता है.
तीसरा सोमवार
सावन का तीसरा सोमवार 1 अगस्त को रखा जाएगा. इस दिन भगवान शिवजी के साथ गणेशजी की भी पूजा की जाएगी. क्योंकि इस दिन वरद चतुर्थी पड़ रही है.
चौथा सोमवार
सावन माह की चौथी सोमवारी व्रत 8 अगस्त को पड़ रही है. यह सावन की आखिरी सोमवारी होगी. क्योंकि इसके बाद 11 अगस्त को सावन समाप्त हो जाएगा. सावन की आखिरी सोमवारी का विशेष महत्व होता है. क्योंकि कई लोग सोमवारी के सभी व्रत नहीं भी रखते हैं तो आखिरी व्रत जरूर करते हैं. इससे भी सभी सोमवारी व्रत जैसे फल की प्राप्ति होती है
शिवजी को विशेष प्रिय है सावन का महिना
माना जाता है कि सावन महीने में ही देवी पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति रूप में पाने के लिए तपस्या शुरू की थी. तप से प्रसन्न होकर शिव जी प्रकट हुए और देवी की इच्छा पूरी करने का वरदान दिया. सावन में अन्य देवी-देवताओं की अपेक्षा शिव जी की पूजा सबसे अधिक की जाती है. ये पूरा महीना ही शिव जी को समर्पित है. सावन महीने में देवी पार्वती ने शिव जी को पति रूप में पाने के लिए तप शुरू किया था. और देवी सती के जाने के बाद शिव जी को फिर से अपनी शक्ति यानी देवी पार्वती पत्नी के रूप में वापस मिली थीं. इसीलिए बाबा भोलेनाथ को ये सावन का महिना अति प्रिय है.
बेल पत्र और सावन का महिना
सावन मास में बेल पत्र का काफी महत्व है बाबा की पूजा में बेल पत्र का इस्तेमाल किया जाता है इससे विशेष रूप से शिव की पूजा की जाती है. तीन पत्तियों वाले बेल पत्र आसानी से उपलब्ध हो जाते है.अभी तो बरसात में बेल पत्र आसानी से प्राप्त हो जाते हैं .खंडित और कीड़ा चला हुआ बेल पत्र शिव पूजा में इस्तेमाल नही किया जाता हैं.