झारखंड » सिमडेगाPosted at: मई 07, 2024 सिमडेगा में फिर नजर आया खाट पर झूलता सिस्टम
सडक के अभाव में दर्द से तड़पती प्रसूता को 02 किलोमीटर लाया गया खाट पर
न्यूज़ 11 भारत
सिमडेगा/डेस्क:सिमडेगा के कोलेबिरा प्रखंड के सकोरला एरेंगा टोली आजादी के 76 वर्ष बाद आज भी विकास की बाट जोह रहा है. सरकार और सरकारी सिस्टम के अंतिम गांव तक विकास पहुंचाने के दावों की सच्चाई आज यहां खटिया पर झूलती नजर आई.
दरअसल घने जंगलों पहाड़ो से घिरे इस गांव में विकास कोसो दूर है आज भी यहां एक अदद सड़क नही है. जिस कारण यहां के लोगों को काफी कष्ट उठाने पडते हैं. आज इस गांव में पुष्पा तानी नामक महिला को लेबर पेन होना शुरू हुआ. उसके घर वालों ने एंबुलेंस को फोन किया. एंबुलेस आई लेकिन रास्ते के अभाव में गांव तक नही जा सकी और गांव के 02 किलोमीटर खड़ी हो गई. अब लेबर पेन के दर्द से छटपटाती गर्भवती को 2 किलोमीटर एंबुलेंस का कैसे लाया जाए यह उसके परिजनों के लिए एक समस्या बन गई. तब लोगों ने उसके खटिया को ही सहारा बनाया और खटिया पर उसे होकर 2 किलोमीटर पैदल लाए. तब जाकर गर्भवती महिला को एंबुलेंस नसीब हुआ. उसके बाद गर्भवती को कोलेबिरा अस्पताल लाया गया जहां अभी वह एडमिट है.
बता दें की सिमडेगा के लिए इस तरह की तस्वीर कोई नई बात नहीं है. हाल के दिनों में सिमडेगा के कई इलाकों से इस तरह की तस्वीर सामने आई है. जहां प्रसूता को सिस्टम की नाकामी का दर्द सहते हुए खाट पर झूलना पड़ता है. आखिर जिसे सिस्टम कहते हैं वह कहां है.आजादी के अमृत महोत्सव के सही मायने तब तक अधुरी है जब तक ऐसे गांवों तक मूलभूत सुविधा नहीं पंहुचती है.