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रांची: राजधानी के डैम-तालाब में शैवाल विकसित किया जाएगा. जिससे वहां के पानी की pH वैल्यू सुधरेगी और साफ भी होगा. साथ ही शैवाल के विकसित होने से उस क्षेत्र के Ambient air quality भी सुधरेगी. मतलब आम लोगों को स्वच्छ जल एवं स्वच्छ हवा प्राप्त होगी. साथ ही शैवाल से विकसित बॉयो फ्यूल का उपयोग शहर के नागरिक अपने वाहनों में भी कर सकेंगे जिससे वायु प्रदुषण में कमी आएगी. रांची शहर को स्वच्छ, सुंदर एवं रमणीक बनाने के उद्देश्य से 17 नवंबर को नगर आयुक्त मुकेश कुमार को मेसर्स मोर माइलेज के द्वारा PPT के माध्यम से यह प्रपोजल प्रस्तुत किया गया. दरअसल दो फर्म मेसर्स ग्रीन ड्रीम फाउंडेशन और मेसर्स मोर माइलेज ने PPT के माध्यम से अपने-अपने प्रपोजल को प्रस्तुत किया.
दोनों एजेंसिंयों ने ये दिए प्रपोजल
- मेसर्स ग्रीन ड्रीम फाउंडेशन के द्वारा CSR मद से वर्तमान में शहर में लगभग 15 हजार स्कॉवयर फीट में वॉल पेंटिग का कार्य किया जा रहा है. फाउंडेशन ने जीरो वेस्ट मैनेजमेंट प्रणाली के तहत परंपरागत तरीके से अपशिष्ट पृथक्करण, कम्पोस्ट का कार्य करने का प्रस्ताव दिया. प्रस्ताव में कहा गया है कि निगम एक आदर्श वार्ड चयनित कर फर्म को दे. उनके द्वारा विकसित तकनीक का पूर्ण उपयोग करते हुए कार्य किया जाएगा.
- मेसर्स मोर माइलेज के द्वारा नवीनतम तकनीक में लघु शैवाल (Microalgae) से थर्ड जेनरेशन बायो फ्यूल बनाने का प्रस्ताव दिया गया. एजेंसी ने बताया कि अधिक से अधिक बॉयो फ्यूल बनाने के लिए अधिक मात्रा में शैवाल को विकसित करना आवश्यक है. जिसमें शहर के अंदर सभी डैम/ तालाबों की आवश्यकता होगी.
निगम को नहीं करना होगा कोई खर्च
दो फर्म की ओर से प्रस्तुत किए गए प्रपोजल को धरातल पर उतारने के लिए रांची नगर निगम को किसी प्रकार की राशि खर्च नहीं करनी होगी. क्योंकि, दोनों एजेंसियों ने Corporate Social Responsibility (CSR) के तहत कार्य करने की इच्छा जाहिर की है. नगर आयुक्त के द्वारा दोनों तकनीक की सराहना की गई. नगर आयुक्त ने बताया कि रांची नगर निगम शहरवासियों के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर है. उन्हें बेहतर जीवन उपलब्ध कराने के लिए निगम स्तर से अनेक प्रयास किये जा रहे है. फर्मों के द्वारा दिये गए प्रस्तावों पर भी नियमानुसार कार्रवाई करते हुए जल्द से जल्द क्रियान्वयन की रूपरेखा तैयार की जाएगी.