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रांचीः हेमंत सोरेन के नेतृत्ववाली सरकार ने शुक्रवार को विधानसभा में बहुप्रतिक्षित 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति और नए आरक्षण विधेयक विधानसभा के विशेष सत्र में पारित कराया. पूरे विपक्ष ने इसे आईवॉश करार देते हुए सरकार की इस पारित विधेयक को नौवीं अनुसूची में शामिल करा कर लागू करने की बातों को लंबी प्रक्रिया बताया. विपक्ष ने सरकार से आवश्यक संशोधन प्रस्ताव लाते हुए कहा कि सरकार संकल्प जारी करके इसे पहले लागू करें, इसके बाद नौवीं अनुसूची में शामिल करें, क्योंकि यह पूरी तरह से राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में आता है. विपक्ष का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हम पिछले अनुभव को देखते हुए इसे कोर्ट-कचहरी के चक्कर से बचाना चाहते हैं, साथ ही इसे कानूनी सुरक्षा कवच प्रदान करना चाहते हैं.
निर्दलीय विधायक अमित कुमार यादव ने ओबीसी आरक्षण और स्थानीय नीति में संसोधन प्रस्ताव लाते हुए कहा कि एसटी, एससी और ओबीसी आरक्षण को लेकर स्थिति ये है कि सामान्य जाति के छात्र-छात्राएं भी आरक्षित सीटों में घुसकर नौकरी प्राप्त कर ले रहे हैं. ऐसी व्यवस्था हो कि आरक्षित सीट पर आरक्षित कोटे के स्टूडेंटस से ही भरा जाए. इसलिए नए आरक्षण प्रस्ताव पर संसोधन की जरूरत है. अमित यादव ने कहा कि कई जिलों के लोगों के पास खतियान नहीं है. उनका क्या होगा. सरकार यह व्यवस्था सुनिश्चित करे कि ग्रामसभा वंशावली को एप्रूव करें, बीडीओ उसे अटेस्टेड करें, नहीं तो लाखों लोग स्थानीय नीति से बाहर हो जाएंगे.