न्यूज़11 भारत
विगत चार मार्च को चाईबासा में नक्सलियों द्वारा किए गए आईडी ब्लास्ट में सिमडेगा जवान किरण सुरीन भी शहीद हुए थे. आज उनका परिवार गरीबी के दंश से गुजर रहा है. नक्सलियों के लाल आतंक के तांडव ने सिमडेगा के कोलेबिरा गोबरधंसा के एक लाल पुलिस जवान किरण सुरीन को विगत चार मार्च को निगल लिया था. किरण सुरीन चाईबासा में एंटी नक्सल अभियान के दौरान आईडी ब्लास्ट के शिकार हुए थे. पांच मार्च को उनका पार्थिव शरीर जब तिरंगे में लिपटा उनके घर पंहुचा था तो पुरा सिमडेगा आंसु बहाया था. उस वक्त सभी ने शहीद के परिजनों को मदद की आस बंधाई थी. लेकिन इस घटना के आठ माह बीत जाने के बाद भी आज तक शहीद किरण सुरीन के परिजनों तक कोई सहायता नहीं पंहुची. आज शहीद किरण का परिवार अपना लाल न्योछावर कर भी गरीबी का दंश झेल रहा है.
शहीद किरण सुरीन की मां ग्लेडी सुरीन ने बताया कि जब उनके बेटा को अंतिम संस्कार के लिए लाया गया था तो कोलेबिरा विधायक, सिमडेगा एसपी, सिमडेगा डीसी और की लोगों उनकी मदद की बात कही थी. उनके छोटे बेटे को नौकरी दिलाने की बात की गई थी. शहीद हुए उनके बेटा कि सपना था मां बाप को एक घर बना कर देने का. उस वक्त लोगों ने घर भी देने की बात कही थी. लेकिन आजतक उन्हे कुछ भी नहीं मिल सका. शहीद किरण की मां ने बताया कि बेटा के शहीद होने बाद उनकी बहु ग्रेसी भी उन दोनों बुढा बुढी को छोड अपने पिता के घर चली गई. झारखंड में तीन बडे नक्सली आत्मसमर्पण किए तो शहीद की मां का दर्द ताजा हो गया. शहीद की मां ने उसके बेटे के कातिल नक्सली को फांसी की सजा देने की मांग की.