न्यूज11 भारत
रांचीः केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने झारखंड में शिक्षकों की कमी से माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा के कार्य प्रभावित हो रहे हैं. झारखंड में स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की समीक्षा के बाद उन्होंने कहा कि राज्य में शैक्षणिक स्थिति काफी बदहाल है. केंद्र प्रायोजित योजनाओं का भी हाल बुरा है. सबसे बड़ी बाधक इसमें शिक्षकों की कमी है. राज्य में शिक्षकों के 90 हजार पद खाली हैं, जिसमें से 74 हजार सिर्फ प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक हैं. हालांकि राज्य सरकार यह दावा कर रही है कि राज्य में 50 हजार शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. प्लस 2 शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए तीन हजार शिक्षकों के आवेदन आये हैं. इनकी स्क्रूटनी की जा रही है. उन्होंने कहा कि राज्य की हेमंत सोरेन सरकार में इच्छाशक्ति की काफी कमी है, जिसने पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार के फैसलों को क्रियान्वित नहीं होने दिया. पीएम श्री योजना को लागू करने की दिशा में राज्य सरकार ने कोई कार्रवाही नहीं की. सरकार ने बिना स्थानीय नीति बनाने के पूर्व ही कई केंद्र प्रायोजित योजनाओं को रोक दिया. पीएम श्री योजना को लेकर झारखंड सरकार को केंद्र के साथ द्विपक्षीय समझौते के मसौदे पर हस्ताक्षर भी करना है.
बता दें, झारखंड समेत चार राज्यों ने अब तक एमओयू नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति के तहत राज्यों के स्तर पर जेसीइआरटी का गठन करना है. इसमें केंद्र सरकार बेहतर अनुदान दे रही है. इसको लेकर राज्यों को यह भरोसा दिलाना होगा कि केंद्रीय राशि का बेहतर सदुपयोग हो और सरकारें समय पर अनापत्ति प्रमाण पत्र और उपयोगिता प्रमाण पत्र दें. केंद्र सरकार पोशाक, किताब, भवन समेत अन्य योजनाओं के तहत राशि देती है. स्मार्ट क्लास, आइसीटी लैब को लेकर झारखंड काफी पिछड़ा है. आइसीटी लैब के लिए पैसे तो सरकार ने ले लिये. पर उसकी उपयोगिता अब तक सिद्ध नहीं हो पायी है.