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देश-विदेश


सावधान: कैंसर वाहक है थाई मांगुर, पाबंदी के बाद भी हो रही बिक्री

बंगाल के मेदिनापुर से रोजाना झारखंड पहुंच रहा है थाई मांगुर
सावधान: कैंसर वाहक है थाई मांगुर, पाबंदी के बाद भी हो रही बिक्री

न्यूज 11 भारत


रांची: अगर आप मांगुर मछली खाने के शौकीन है, तो सावधान हो जाएं. क्योंकि राजधानी सहित प्रदेशभर के मछली बाजार में थाईलैंड की थाई मांगुर मछली की बेखौफ बिक्री हो रही है. थाई मांगुर का उत्पादन झारखंड में नहीं के बराबर होता है. यह मछली बंगाल के मेदिनापुर से आता है. राजधानी के शालीमार स्थित थोक मछली बाजार में जिंदा बिकता है. थाई मांगुर को हाईब्रिड मांगुर या बॉयलर मांगुर बता कर बेचा जा रहा है. जबकि थाई मांगुर की बिक्री और उत्पादन पर पूरी से रोक है. 


भारत सरकार ने वर्ष 2000 में थाईलैंड की थाई मांगुर नामक मछली के पालन और बिक्री पर रोक लगा दी थी, लेकिन इसकी बेखौफ बिक्री जारी है. इस मछली के सेवन से घातक बीमारी हो सकती है. इसे कैंसर का वाहक भी कहां जाता है. ये मछली मांसाहारी होती है, इसका पालन करने से स्थानीय मछलियों को भी क्षति पहुंचती है. साथ ही जलीय पर्यावरण और जन स्वास्थ्य को खतरे की संभावना भी रहती है.

 


 

थाई मांगुर से कई बीमारियों का खतरा

थाईलैंड की थाई मांगुर मछली के मांस में 80 प्रतिशत लेड और आयरन पाया जाता है. इस मछली को खाने से लोगों में गंभीर बीमारी हो सकती है. थाई मांगुर मछली मांसाहारी मछली है. मांस को बड़े चाव से खाती है. सड़े हुए मांस खाने से मछलियों के शरीर की वृद्धि एवं विकास बहुत तेजी से होता है. यह मछलियां तीन माह में दो से 10 किलोग्राम वजन की हो जाती हैं. इन मछलियों के अंदर घातक हेवी मेटल्स जिसमें आरसेनिक, कैडमियम, क्रोमियम, मरकरी, लेड अधिक पाया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक हानिकारक है. थाई मांगुर के द्वारा प्रमुख रूप से गंभीर बीमारियां, जिसमें हृदय संबंधी बीमारी के साथ न्यूरोलॉजिकल, यूरोलॉजिकल, लीवर की समस्या, पेट एवं प्रजनन संबंधी बीमारियां और कैंसर जैसी घातक बीमारी अधिक हो रही है.

 

पर्यावरण को भी मछली पहुंचाती है नुकसान

थाईलैंड में विकसित थाई मांगुर पूरी तरह से मांसाहारी मछली है. इसकी विशेषता यह है कि यह किसी भी पानी (दूषित पानी) में तेजी से बढ़ती है, जहां अन्य मछलियां पानी में ऑक्सीजन की कमी से मर जाती है, लेकिन यह जीवित रहती है. थाई मांगुर छोटी मछलियों समेत यह कई अन्य जलीय कीड़े-मकोड़ों को खा जाती है. इससे तालाब का पर्यावरण भी खराब हो जाता है. पिछले दिनों धनबाद के मैथन में पुलिस ने चार टन प्रतिबंधित थाई मछली को जब्त किया था. इसके बाद भी रोजाना प्रदेश में थाई मछली का खेप पहुंच रहा है.

 

जाने देश में किन-किन मछलियों की बिक्री पर है रोक

थाई मांगुर, बिग हेड और पाकु विदेशी नक्सल की हिंसक मांसाहारी मछलियां हैं. जिसका भारत में अवैध तरीके से प्रवेश हुआ है. भारत सरकार ने 2020 में इन तीनों प्रजाति की मछलियों की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दिया है. कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और केरल उच्च न्यायालय, ग्रीन ट्रिब्यूनल के द्वारा थाई मांगुर के पालन पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है.

 
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