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रांचीः राज्य के जाने-माने शल्य चिकित्सक डॉ हीरालाल साहा का निधन हो गया. उन्होंन 85 वर्ष में अपनी अंतिम सांस ली. उनके इस तरह से अचानक दुनिया छोड़कर चले जाने की खबर के बाद हजारीबाग जिले में शोक की लहर है. लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए आ-जा रहे है.
सीएम हेमंत समेत कई नेताओं ने जताया दुख
डॉ हीरालाल साहा के निधन की सूचना मिलने के बाद हजारीबाग समेत पूरे राज्य के डॉक्टरों और राजनेताओं ने शोक व्यक्त किया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी, ,गिरिडीह सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी, हजारीबाग सदर विधायक मनीष जयसवाल समेत कई तमाम नेताओं ने ट्वीट के जरिए डॉ साहा के निधन पर दुख जताया है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर दुख जताते हुए कहा है कि 'जाने-माने सर्जन डॉ हीरालाल साहा जी के निधन की खबर से स्तब्ध हूं. उनका चले जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है. बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ हीरालाल जी ने आदरणीय बाबा पर भी एक पुस्तक लिखी थी. परमात्मा दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर शोकाकुल परिवार को यह विकट घड़ी सहन करने की शक्ति दें.'
आकस्मिक निधन समाज के लिए अपूरणीय क्षति
डॉ साहा के निधन पर हजारीबाग सदर विधायक मनीष जायसवाल ने गहरा शोक जताया है. उन्होंने कहा कि डॉ. साहा संघर्षों की उपज रहे हैं. यह बहुमुखी प्रतिभा के धनी होने के साथ शल्य चिकित्सा जगत में जाने-माने नाम थे. इन्होंने चिकित्सीय सेवा के साथ सामाजिक, राजनीतिक, प्रशासनिक और भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए हमेशा समाज में अपना बहुमूल्य योगदान दिया. अच्छे साहित्यकार होने के साथ अपने उत्कृष्ट लेखनी से समाज को जागृत करने का भी उन्होंने हमेशा प्रयास किया. जयसवाल ने कहा कि डॉ. साहा का आकस्मिक निधन समाज के लिए अपूरणीय क्षति है.
डॉ साहा ने लिखी है दिशोम गुरु शिबू सोरेन की जीवनी पर पुस्तक
बता दें. शल्य चिकित्सक डॉ हीरालाल साहा मूल रुप से रामगढ़ के गोला प्रखंड स्थित चक्रवाती गांव के निवासी थे. उन्होंने अपने पैतृक गांव गोला से अपनी प्रारंभिक शिक्षा की शुरूआत की थी. अपनी पूरी पढ़ाई खत्म होने के बाद वे हजारीबाग में रहकर डॉक्टरी का कार्य करते थे. इस बीच डॉ साहा ने गोला क्षेत्र के लोगों के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किया. बता दें, वे डॉक्टर होने के साथ-साथ एक अच्छे साहित्यकार भी थे. डॉ साहा ने अपने जीवन में हमेशा अपनी उत्कृष्ट लेखनी से समाज को जागरूक करने की कोशिश की. उन्होंने 2016 में दिशोम गुरु और जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन की जीवनी पर 'शिबू सोरेन- झारखंड आंदोलन का एक सिपाही' नामक पुस्तक भी लिखी है. उनके इस तरह दुनिया को अलविदा करने से राज्य के डॉक्टरों और राजनेताएं दुख जता रहे है साथ ही उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे है.