रांची: 7वीं जेपीएससी को दायर एसएलपी पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. शीर्ष अदालत में जस्टिस मि शाह एवं जस्टिस एएस बोपन्ना की खंडपीठ ने सुनवाई की. बता दें कि उम्र सीमा को लेकर जारी कट ऑफ डेट को हाईकोर्ट ने सही ठहराया था. शीर्ष अदालत में सरकार को नोटिस जारी करते हुए पूछा की विगत पांच वर्षो से परीक्षाएं नहीं हुई है. ऐसी स्थिति में क्या सरकार एक बार के लिए उम्र सीमा में छूट देने के लिए तैयार है? अगली सुनवाई 21 सितंबर को होगी.
शीर्ष अदालत ने सरकार को जारी किया नोटिस
अपीलार्थी ने कहा की राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नियमावली 2021 के पूर्व के पद को भी नए विज्ञापन में शामिल कर लिया लिया गया. नए विज्ञापन में कट ऑफ डेट नए तरीके से लागू है जबकि अधिकारी आदेश से नियम के प्रावधानों को बदला नहीं जा सकता है.
एसएलपी दाखिल करने वाली अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज और कुमारी सुगंधा ने बताया कि जेपीएससी परीक्षा-2021 में अभ्यर्थियों ने पांच साल उम्र की छूट मांगी थी. क्योंकि जेपीएससी ने सिविल सेवा परीक्षा के लिए फरवरी 2020 में विज्ञापन जारी किया था. इसमें उम्र की सीमा एक अगस्त 2011 रखी गई थी, लेकिन बाद में सरकार ने नियुक्ति के विज्ञापन को रद कर दिया. इसके बाद सरकार ने जेपीएससी परीक्षा के लिए नई नियमावली बनाया और विज्ञापन जारी किया है. इसमें उम्र सीमा एक अगस्त 2016 रखा है. जबकि यह परीक्षा वर्ष 2017-18-19-20 के रिक्त पदों की है. नियमानुसार प्रत्येक साल सिविल सेवा की परीक्षा ली जानी चाहिए, लेकिन जेपीएससी ने चार साल के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए एक साथ ही विज्ञापन जारी किया है. ऐसा करने से कई वैसे अभ्यर्थी वंचित हो गए, जिन्हें पहले विज्ञापन से आवेदन करने की उम्मीद थी.
राज्य सरकार प्रत्येक साल के रिक्त पदों के लिए उम्र की सीमा का निर्धारण एक-एक साल बढ़ाते हुए रखनी चाहिए थी, जैसा कि बिहार सरकार ने किया है. सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि अब तक जेपीएससी की ओर से ली जाने वाली परीक्षा के लिए कोई नियमावली नहीं थी. अब सरकार ने नियमावली बना दी है. उसके बाद विज्ञापन जारी किया है. चार सालों के रिक्त पदों को एक ही विज्ञापन से नियुक्ति किया जाना है। इसके लिए राज्य सरकार ने पहले ही उम्र में छूट प्रदान किया है.