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जमशेदपुरः दिन प्रतिदिन आत्महत्या जैसी घटनाओं का ग्राफ बढ़ता जा रहा है खासकर युवा पीढ़ी की बात करें तो हर दिन कोई ना कोई अपनी जीवन लीली समाप्त कर रहा है. आंकड़ों की अगर हम बात करें तो 2015 में पूरे साल भर में आत्महत्या के197 मामले थे, 2016 में 193, 2017 में 201 फिर 2 वर्षो में यानी 2018 में 176, 2019 में 170 मामले थे. जो पुनः2020 में बढ़कर 258 हो गया और इस वर्ष अब तक 226 मामले आत्महत्या के आये है. जो काफी चिंता जनक बात है. तेजी से बढ़ती वक्त के साथ-साथ लोगों की जीवनशैली बदल रही है, लोगों का खान-पान बदल रहा है. ऐसे में लोगों पर एकग्रापंन हावी होता जा रहा है. खासकर युवा पीढ़ी मोबाइल लैपटॉप पर पूरी तरह से व्यस्त होते जा रही है. जहां अपनी परेशानियों को वो साझा करने से बचते है. थोड़ी-थोड़ी बातों में मानसिक तनाव में आकर आत्महत्या की तरफ युवा पीढ़ी रुख कर जाते हैं और नादानी में अपना जीवन गंवा बैठते हैं. वहीं शिक्षक सुनील ठाकुर बताते हैं कि आत्महत्या की घटना की पुनरावृत्ति ना हो इसके लिए समाज के हर वर्ग को आगे आने की जरूरत है. परिजनों को अपने बच्चे को समय देने की जरूरत है, साथ ही समय-समय पर युवा पीढ़ी को जागरूक करते रहने की जरूरत है.
जमशेदपुर में जीवन संस्था कर रही कार्य
पूरे देश राज्य के साथ-साथ अगर जमशेदपुर की बात करें, तो हर दिन विभिन्न थाना क्षेत्रों में आत्महत्या की घटनाएं देखने सुनने को मिलती है. जिसमें युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है. ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए कई समाज सेवी संस्थाएं निशुल्क समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य कर रहे हैं. इधर जमशेदपुर में जीवन संस्था द्वारा लगातार आत्महत्या की घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो इसे रोकने की दिशा में कार्य किया जा रहा है. जीवन संस्था के संस्थापक 84 वर्षीय डॉ महावीर कुमार राम स्वयं ऐसे लोगों की काउंसलिंग करते हैं जो अपने जीवन से निराश होकर आत्महत्या के लिए विवश हो जाते हैं. अब तक उन्होंने 200 से 300 जिंदगी को बचाया है. आत्महत्या करने से रोका है उनके अनुसार यह संस्था निशुल्क लोगों की काउंसलिंग करती है. जिसे पूरी तरह से गुप्त रखा जाता है, संस्था का मुख्य उद्देश्य आत्महत्या की घटनाओं पर रोक लगाना है.
आत्महत्या की कहीं ये वजह तो नहीं..?
आत्महत्या की बात आने से कहीं ना कहीं मानसिक तनाव की बात हमारे सामने आती है क्योंकि मानसिक तनाव में आकर ही लोग आत्महत्या जैसी घटनाओं को जन्म देते हैं. मानसिक रोग विशेषज्ञ दीपक कुमार गिरी के अनुसार हर 40 सेकेंड में एक आत्महत्या की घटना पूरे विश्व में होती है. जिसमें 15 वर्ष से 29 वर्ष की आयु सीमा के लोग ज्यादा हैं, जो इस घटना को अंजाम देते हैं, उन्होंने बताया कि आत्महत्या को लेकर कई भ्रांतियां हैं. जिसमें समाज के हर वर्ग को आने की जरूरत है. बहुत सारे लोग झिझक पन के कारण अपनी समस्याओं को बता नहीं पाते हैं, लेकिन समाज के प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि अगर सामने वाला व्यक्ति ऐसी समस्याओं से गुजर रहा है, तो उनसे बात कर उनकी परेशानियों को सुनकर ऐसी समस्याओं को दूर किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि आत्महत्या की घटनाओं का निवारण भी हमारे हाथ में है अगर हम पीड़ित व्यक्ति की समस्याओ को सुने तो ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता.
रोकथाम के लिए क्या करें?
इस भागदौड़ की जिंदगी में कुछ वक्त हमें अपनों के लिए निकालने की जरूरत है, क्योंकि हमें बिल्कुल नहीं पता कि हमारे इर्द-गिर्द खड़ा बैठा व्यक्ति किस मानसिक तनाव से गुजर रहा है. हमारे तरफ से सामने वाले व्यक्ति को दिया गया थोड़ा सा हौसला सामने वाले की जिंदगी को बचा सकता है, जरूरत है ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए समाज के हर वर्ग को आगे आने की तब जाकर ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है.