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रांचीः देश के प्रसिद्ध ग़ज़ल गायक भूपेंद्र सिंह नहीं रहे. उन्होंने 82 की उम्र में मुंबई के एक अस्पताल में अपनी अंतिम सांसें लीं. वे पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. भूपेंद्र सिंह ने अपनी रूहानी आवाज़ में बॉलीवुड को कई हिट सॉन्ग दिए है उनके हिट ग़ज़ल गानों में 'किसी नजर को तेरा इंतजार आज भी है', 'मेरी आवाज ही पहचान है गर याद रहे', 'एक अकेला इस शहर', 'दिल ढूंढ़ता है फिर वही' जैसे ग़ज़लों में अपनी आवाज से पिरोकर भूपेंद्र ने इन गानों को अमर कर दिया है. आज भी ये इन ग़ज़लों को लोगों के जुबां में सुनने को मिलता है. ये सभी ग़जले जब भी लोग गुनगुनाएंगे भूपेंद्र सिंह हमेशा याद किए जाएंगे. इनके गाए सभी गीतों ने दुनिया में एक अलग मुकाम हासिल की है.
देश के प्रसिद्ध गायकों संग गाए कई हिट गाने
भूपेंद्र सिंह के निधन से फिल्मी इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगा है. कई गायक और फिल्मी कलाकारों ने उनके निधन पर शोक जताया है. उनके निधन की खबर मिलते ही रिश्तेदारों और फिल्मों से जुड़े लोगों का उनके घर आना-जाना शुरु हो गया है. बता दें, भूपेंद्र देश के प्रसिद्ध गायकों में से एक है उन्होंने कई गीतों को अपनी आवाज से संवारा है. भूपेंद्र ने देश के प्रसिद्ध सिंगर्स मोहम्मद रफी, मन्ना डे, तलत महमूद, आरडी बर्मन, लता मंगेशकर, आशा भोंसले और बप्पी लाहिड़ी समेत कई अन्य गायकों के साथ यादगार गीत गाए हैं. फिल्म सत्ते पे सत्ता, दूरियां, हकीकत समेत कई बॉलीवुड फिल्मों के गीत को उन्होंने अपनी रूहानी आवाज दी थी.
अमृतसर में हुआ था जन्म
भूपेंद्र सिंह का जन्म 6 फरवरी 1940 को अमृतसर में हुआ था, उनके पिता का नाम नत्था सिंह था जो एक प्रोफेसर थे. इसके अलावे वे एक महान संगीतकार और बेहतरीन म्यूजिक डायरेक्टर भी थे. कहा जाता है कि भूपेंद्र के संगीत क्षेत्र के उनके पहले गुरू पिता नत्था सिंह ही थे, वे अपने बेटे भूपेंद्र को संगीत की बारीकियों को लेकर अक्सर झमझाइश देते रहते थे. हालांकि एक समय ऐसा भी आया था जब भूपेंद्र सिंह का ध्या संगीत से भटकने लगा था. लेकिन वे संगीत से दूर नहीं रह सकें और संगीत की दुनिया में वापस लौटकर उन्होंने इस फील्ड को ही अपना कैरियर बनाया.
'वो जो शहर था' से मिली थी पहचान
कहा जाता है कि भूपेंद्र ने आकाशवाणी में गायन प्रस्तुति करके अपने कैरियर की शुरूआत की थी. ग़ज़ल गायिकी के साथ उन्होंने वायलिन और गिटार बजाने की भी महारत हासिल की थी. भूपेंद्र सिंह को संगीतकार मदन मोहन ने फिल्म 'हकीकत' में पहला मौका दिया था. इसमें उन्होंने मोहम्मद रफी के साथ जुगलबंदी में 'होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा' गाने में अपनी गायिकी का हुनर दिखाया था. उस दौर में यह गाना सुपरहिट साबित हुआ था, हालांकि भूपेंद्र को असल पहचान गलज़ारके लिखे गाने 'वो जो शहर था' से मिली थी.