धरातल पर उतर जाने से राज्य में रोजगार सृजन होता
एमओयू के हिसाब से 2018 में बन जाना था खेल यूनिवर्सिटी
स्पोर्ट्स डेस्क/न्यूज11 भारत
रांची: झारखंड में स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी को धरातल पर अबतक अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है. सिर्फ कागजों में ही स्पोर्ट्स यूनिविर्सिटी बनी हुई है. खिलाड़ियों के चहुंमुखी विकास को लेकर झारखंड सरकार व सीसीएल ने 2015 में एमओयू किया था. सत्र 2016-17 से खेलगांव के मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में खिलाड़ियों का भविष्य बनाने का काम शुरू हुआ. लेकिन स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी फाइलों में ही पड़ी हुई है. खेल यूनिवर्सिटी को लेकर न तो सरकार न ही सीसीएल पहल कर रही है. एमओयू के हिसाब से खेल यूनिवर्सिटी की स्थापना 3 साल के अंदर कर लेनी थी. लेकिन 3 साल गुजर जाने के बाद भी इसपर अमलीजामा पहनाया नहीं जा सका. यूनिवर्सिटी से करियर संवारने की आस लगाने वाले स्टूडेंट्स और खिलाड़ी लगातार निराश हो रहे हैं.
2018-19 में बन जाना था स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी
2011 में 34वें नेशनल गेम्स का आयोजन झारखंड में हुआ था. होटवार स्थित मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में 9 स्टेडियम अंतरराष्ट्रीय स्तर का है. साथ ही अन्य आधारभूत संरचनाएं भी तैयार हैं. कॉम्प्लेक्स का समुचित उपयोग के लिहाज से स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी औऱ स्पोर्ट्स एकेडमी शुरू किये जाने की योजना सरकार के स्तर पर बनी. 2015 में सरकार व सीसीएल के बीच एमओयू हुआ. 2018-19 में खेल विश्वविद्यालय की शुरुआत होनी थी. होटवार में ही स्पोर्ट्स एकेडमी भी शुरू करनी थी. राज्यपाल के पास खेल विश्वविद्यालय का बजट प्रस्ताव 3 साल पहले (मार्च 2018) भेजा गया था. उसे मंजूरी भी दे दी गई थी.
बन जाने से ये फायदा होता
खेल में करियर बनाने के इच्छुक खिलाड़ी व प्रशासक खेल विश्वविद्यालय बनने से कोच के साथ खेल के अलग-अलग विषयों में एक्सपर्ट बनने की ट्रेनिंग लेना शुरू कर देते. एडवांस कोचिंग पद्धति यहां के खिलाड़ियों को सीखने को मिलती. कोचिंग में डिग्री व डिप्लेमा, बीपीएड, एमपीएड, स्पोर्ट्स मेडिकल साइंस व स्पोर्ट्स मेडिसिन, स्पोर्ट्स मैकेनिज्म जैसे कोर्स यहां शुरू हो जाते. झारखंड के साथ-साथ देश-विदेश के लोग भी यहां आकर कोर्स कर सकते. साथ ही रोजगार के अवसर भी मिलते.