रिपोर्ट आशीष शास्त्री
सिमड़ेगा: हमारे भारत देश एक कृषि प्रधान देश हैं. किसान दिन रात खेतों में पसीने बहाते हैं तब हमारे थाली में भोजन नसीब होता है. इन्हीं किसानों के सम्मान में प्रत्येक वर्ष 23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन देश अथक मेहनत करने वाले अन्नदाताओं के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है और भारत की अर्थव्यवस्था में उनके योगदान को सम्मान दिया जाता है.
नंगे पैर बारिश में जब एक किसान खेतों में जाता है, तभी महकता हुआ बासमती आपके घर आता है. किसान दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में कृषि वैज्ञानिकों के योगदान, किसानों की समस्याएं, कृषि क्षेत्र में नए प्रयोग, नई तकनीक, फसल पद्धति और खेती में बदलाव जैसे कई मुद्दों पर सार्थक चर्चा होती है. भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है और यहां कि आधी से अधिक जनसंख्या आज भी खेती या इससे जुड़े कामों पर निर्भर है.
23 दिसंबर को ही देश के पांचवें प्रधानमंत्री और दिग्गज किसान नेता चौधरी चरण सिंह की जयंती है. उन्होंने अन्नदाताओं के हित में और खेती के लिए कई अहम काम किए हैं. इन्हीं की जयंति को किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है. चौधरी चरण सिंह कहा करते थे कि किसानों की दशा बदलेगी, तभी देश बढ़ेगा और इस दिशा में वे लगातार काम करते रहे. कुछ ही महीनों के लिए देश के प्रधानमंत्री रहे चौधरी चरण सिंह ने किसानों और कृषि क्षेत्र के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्हें देश के सबसे प्रसिद्ध किसान नेताओं में से एक के रूप में जाना जाता है. कृषि क्षेत्र और किसानों के हित में किए गए उनके कार्यों के लिए ही भारत सरकार ने 2001 में 23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था. तभी से हर साल इस दिन हमारी थाली में भोजन उपलब्ध कराने वाले कृषकों के प्रति हम कृतज्ञता अर्पित करते हैं.