अपनी पुस्तक “रहबर की राहजनी” की प्रति भी भेजी जिसमें रघुवर काल में हुए अनियमिताएं का उल्लेख किया है
न्यूज11 भारत
रांची: पूर्व मंत्री एवं विधायक सरयू राय ने प्रवर्तन निदेशालय को एक पत्र लिखा है. उपनिदेशक के नाम से लिखे गए पत्र में उन्होंने आईएएस पूजा सिंघल के विरूद्ध हो रही जांच तथा मनरेगा, खान विभाग में अनियमितता मामले को जांच दायरे में लाने की मांग की है. राय ने इससे संबंधित कागजात भी ईडी को उपलब्ध कराया है.
इन बिंदुओं को सामने लाकर जांच की मांग की
- पूजा सिंघल के विरूद्ध जांच में 2016 के पूर्व खूंटी एवं चतरा ज़िलों में मनरेगा में हुई अनियमितताओं के संदर्भ हैं. उल्लेखनीय है कि 8 नवंबर 2016 को देश में विमुद्रीकरण (नोटबंदी) लागू हुआ था जो 30 दिसंबर 2016 तक चला था. इस दौरान जांचाधीन व्यक्तियों, व्यक्ति समूहों एवं इनसे संबंधित संस्थानों के वित्तीय लेन-देन पर एक नज़र जांच की प्रक्रिया में डालनी चाहिए.
- मनरेगा की अनियमितताओं को लेकर पूजा सिंघल पर विभागीय कार्रवाई चल रही थी. झारखंड सरकार की अधिसूचना ज्ञापांक-1/आरोप-508/ 2011का॰-1743/रांची, दिनांक 27.02.2017 द्वारा उन्हें आरोप मुक्त कर दिया गया, उनके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही समाप्त कर दी गई. प्रासंगिक अधिसूचना की छाया प्रति संलग्न है, जो स्वतः स्पष्ट है.
- जिन आरोपों से सिंघल को झारखंड सरकार ने मुक्त कर दिया, वे आरोप प्रवर्तन निदेशालय की जाँच का आधार बने हैं. जांच चल रही है और कार्रवाई जारी है. इससे तत्कालीन झारखंड सरकार द्वारा वर्ष 2017 में उन्हें आरोप मुक्त करने की प्रक्रिया पर प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है. प्रथमदृष्ट्या यह प्रक्रिया दूषित प्रतीत हो रही है. विभागीय कार्यवाही संचालन के लिये नियुक्त संचालन पदाधिकारी का पद अर्द्ध-न्यायिक होता है. संचालन की प्रक्रिया भी अर्द्ध-न्यायिक होती है. उपस्थापन पदाधिकारी और सरकार का संबंधित विभाग आरोप सिद्ध करने में महती भूमिका निभाता है. प्रक्रियानुसार संचालन पदाधिकारी के निर्णय की समीक्षा सरकार करती है. समीक्षा में उभरे बिन्दुओं के आलोक में सरकार और/या उपस्थापन पदाधिकारी विषय को संचालन पदाधिकारी के पास पुनर्विचार के लिये भेज सकते हैं. आरोपों की गंभीरता के मद्देनज़र श्रीमती सिंघल को आरोप मुक्त करने के निर्णय पर पहुँचने के पूर्व राज्य सरकार के संबंधित पद सोपानों में से किसी ने भी इस पर गौर करने का कष्ट किया है या नहीं. इसकी समीक्षा आवश्यक प्रतीत होती है. इसकी जांच की जा सकती है और की जानी चाहिए.
- जांच के क्रम में खान विभाग के क्रियाकलापों पर भी प्रवर्तन निदेशालय विचार कर रहा है, ऐसा समाचार पत्रों के अवलोकन से प्रतीत होता है। वर्तमान सरकार में भी और पूर्ववर्ती सरकार में भी मैंने लौह अयस्क खनन में अनियमितताओं से संबंधित कतिपय मुद्दों की और झारखंड सरकार का ध्यान आकृष्ट किया है. इस संबंध में मैंने “रहबर की राहजनी” एक पुस्तक भी प्रकाशित किया है. यह पुस्तक इस अनुरोध के साथ संलग्न कर रहा हूँ कि इसमें वर्णित तथ्यों एवं कथ्यों को उचित प्रतीत हो तो जांच के दायरे में लाया जा सकता है.
- वर्तमान राज्य सरकार और पूर्ववर्ती राज्य सरकार के खान विभाग के कतिपय क्रियाकलापों के संबंध में मैंने माननीय मुख्यमंत्री को कई पत्र लिखा है और विधान सभा में भी इन्हें उठाया है. इनमें से तीन पत्रों, पत्र संख्या- आ॰का॰(मु॰मं॰)/02/109, पत्र संख्या- आ॰का॰(मु॰मं॰)/02/68, पत्र संख्या- आ॰का॰(मु॰मं॰)/02/83, जो मुख्यमंत्री को प्रेषित हैं, की छाया प्रतियाँ आपके अवलोकनार्थ एवं आवश्यक कारवाई हेतु संलग्न हैं.