न्यूज 11 भारत
रांचीः साहेबगंज जिले में अवैध खनन मामले को लेकर जिला पुलिस प्रवर्तन निदेशालय को सहयोग नहीं कर रही है. ईडी के अधिकारियों का मानना है कि जिला पुलिस मामले को खराब कर रही है. ईडी को यह सूचना मिली है कि साहेबगंज में अवैध खनन को लेकर कई मामले दर्ज कराये गये थे. अधिकतर मामले में स्थानीय पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. जबकि रमेश पासवान नामक व्यक्ति की ओर से अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत कारोबारी पंकज मिश्रा, साहेबगंज के जिला खनन पदाधिकारी विभूति कुमार और अन्य पर किये गये शिकायत को पुलिस ने झूठा करार देते हुए फाइनल रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है. इसमें तीन गवाहों के बयान लिये गये थे. अब पुलिस के क्लोजर रिपोर्ट को लेकर रमेश पासवान ने अदालत की शरण ली है. वहीं भवानी चौकी निवासी विजय हांसदा ने पंकज मिश्रा और उनके करीबियों के खिलाफ नीबू हिल्स में अवैध खनन को लेकर शिकायत की थी. पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज नहीं किया. विजय हांसदा ने बाद में साहेबगंज के व्यवहार न्यायालय में शिकायत की. कोर्ट ने सात जुलाई 2022 को ही प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था. अब नवंबर माह भी समाप्त होने को है, इस मामले पर अब विजय हांसदा अवैध खनन मामले पर ईडी के गवाह बन गये हैं. विजय हांसदा को एक मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है.
ईडी को अब लगने लगा है कि अवैध खनन को लेकर साहेबगंज पुलिस मनी लाउंड्रिंग के मामलों को खराब कर रही है. एजेंसी उन मामलों को लेकर विशेष रूप से सतर्क है, जिनमें झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि आरोपी हैं. ईडी ने अवैध खनन से संबंधित तत्काल ईसीआईआर में पांच महत्वपूर्ण मामलों को सम्मिलित किया है. एक और महत्वपूर्ण मामला है, जिसमें निचली अदालत के आदेश के बावजूद अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है. दो मामलों को झूठा मानकर बंद कर दिया गया. साहिबगंज जिले के बरहरवा थाने में व्यवसायी शंभू नंदन प्रसाद द्वारा मंत्री आलमगीर आलम और पंकज मिश्रा के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 149, 341, 342,120बी, 504 और अन्य सुसंगत धाराओं के तहत एफआईआर करायी गयी थी. शिकायतकर्तो को पंकज मिश्रा व मंत्री ने फोन पर बरहरवा टोल के टेंडर में हिस्सा नहीं लेने की धमकी दी थी. मना करने पर पंकज मिश्रा के कहने पर भीड़ ने उन पर हमला कर दिया. ईडी द्वारा इस मामले को हाथ में लेने से महीनों पहले, साहिबगंज पुलिस ने चार्जशीट दायर की और डिजिटल और अन्य सबूतों के बावजूद पंकज मिश्रा और मंत्री को क्लीन चिट दे दी. शिकायतकर्ता ने कहा कि उसे क्लीन चिट के बारे में बहुत बाद में पता चला और पुलिस ने उसे अंधेरे में रखा, इसलिए वह उपलब्ध कानूनी उपायों का सहारा नहीं ले सका. जांच के दौरान ईडी ने साहिबगंज पुलिस से पूछताछ की और बताया कि किस आधार पर पंकज मिश्रा को क्लीन चिट दी गई थी.