झारखंडPosted at: सितम्बर 30, 2022 झारखंड में आरटीए की बैठक तीन माह से ठप
रांची, पलामू, हजारीबाग, दुमका, सरायकेला में आरटीए का गठन तक नहीं
न्यूज11, भारत
रांची: रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (आरटीए) और स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी की बैठक पिछले तीन महीने से नहीं हुई है. इसकी वजह से राजधानी रांची से चलने वाली सैकड़ों बसों को परमिट नहीं मिल पाई है. रांची के अलावा पलामू, हजारीबाग, दुमका व सरायकेला में रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी है. सभी में दो-दो सदस्य यानी 10 सदस्यों का मनोनयन होना है. इसके अलावा स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी में भी दो सदस्यों का मनोनयन होना है. इस तरह रीजनल और स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी में 12 सदस्यों का मनोनयन होना है. बैठक में विभागीय अफसरों के अलावा बस एसोसिएशन के पदाधिकारी भी भाग लेते हैं. आरटीए की बैठक नहीं होने से रांची समेत राज्य भर में करीब 400 से अधिक बसें बिना परमिट के चल रही हैं. ये बसें झारखंड से बिहार के अलावा राज्य के विभिन्न शहरों के बीच चलती हैं. इससे राज्य सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है. एक बस का परमिट पांच वर्ष के लिए जारी होता है. इसके एवज में परिवहन विभाग को प्रति बस नौ हजार रुपये मिलते हैं. जानकारी के मुताबिक, साल 2019 से अब तक स्टेट और रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी की बैठक नहीं हुई है. अथॉरिटी की बैठक में ही बसों को परमिट दिये जाने का निर्णय लिया जाता है. सदस्यों का मनोनयन नहीं होने के कारण दोनों अथॉरिटी की बैठक नहीं की जा सकती है. सदस्यों के मनोनयन का प्रस्ताव विभाग की ओर से राज्य सरकार को पूर्व में भेजा गया था. लेकिन इस पर अभी तक निर्णय नहीं हुआ है. स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी और रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी की बैठक नहीं होने के कारण बसों को परमिट नहीं मिल रहा है. परमिट के आधार पर ही बसों के समय, रूट और ठहराव का निर्धारण होता है. बिना परमिटवाली बसें दुर्घटनाग्रस्त हो जाती हैं, तो उस स्थिति में यात्रियों और बस स्टाफ को दुर्घटना बीमा का लाभ नहीं मिल सकता है.