न्यूज 11, भारत
रांची: प्रवर्तन निदेशालय के क्षेत्रीय कार्यालय में कारोबारी रवि केजरीवाल खुद ही रविवार 15 मई को रांची पहुंचे थे. वे ईडी दफ्तर में खुद पहुंचे थे. उन्हें किसी तरह का समन नहीं भेजा गया था. रविवार को सुबह 11 बजे के बाद से तीन घंटे से अधिक समय तक रवि केजरीवाल ईडी के दफ्तर में रहे थे. पूछताछ के क्रम में इनसे शेल कंपनियों के बारे में जानकारी ली गयी. यह पूछा गया कि 40 से अधिक शेल कंपनियों को कैसे संचालित किया जाता था. सभी शेल कंपनियों का पता कोलकाता क्यों था. इनसे यह भी पूछा गया कि क्या अवैध काले धन को शेल कंपनियों के माध्यम से ह्वाइट किया जाता था. इतना ही नहीं झारखंड मुक्ति मोरचा के कोषाध्यक्ष पद से क्यों उन्हें हटाया गया था साथ ही पार्टी की सदस्यता क्यों रद्द की गयी थी. ईडी दफ्तर के सूत्रों का कहना है कि रवि केजरीवाल सरकारी गवाह (एप्रूवर) बनना चाहते हैं. क्योंकि ईडी की तरफ से इनसे औऱ् कई महत्वपूर्ण जानकारियां एकत्रित की जा रही है, ताकि आइएएस पूजा सिंघल मामले में बेहतर सुराग मिल सके. ईडी की तरफ से रवि केजरीवाल की सारी गतिविधियों पर भी नजर रखी जा रही है.
धुर्वा थाने में हेमंत सोरेन सरकार को गिराने का भी लग चुका है आरोप
राजधानी रांची के धुर्वा थाने में चुनी हुई झामुमो और कांग्रेस गंठबंधन की सरकार को गिराने का आरोप भी रवि केजरीवाल पर लग चुका है. इस संबंध में धुर्वा थाने में एक प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी है. रवि केजरीवाल पर यह भी आरोप लग चुका है कि झारखंड मुक्ति मोरचा के कई वरिष्ठ नेताओं, विधायकों समेत अन्य के साथ काफी करीब का संबंध था. इसलिए उन्हें पार्टी की गतिविधियों की काफी जानकारी भी है. इन पर झामुमो विधायक रामदास सोरेन को भी भड़काने का आरोप लगा था, ताकि हेमंत सोरेन की सरकार गिरायी जा सके.